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धर्म-अध्यात्म
आज चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा,जानें पूजा विधि एवं आरती
Kajal Dubey
8 April 2022 1:39 AM GMT
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चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि विधान से करते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि विधान से करते हैं. मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहते हैं. मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि कृष्ण वर्ण की हैं, इस वजह से इनका नाम कालरात्रि है. मां दुर्गा ने राक्षस रक्तबीज का संहार करने के लिए कालरात्रि अवतार धारण किया था. देवी कालरात्रि तीन आंखों वाली, गले में मुंड की माला पहनने वाली और अपने बालों को खुले रखने वाली हैं. वे चार भुजाओं वाली देवी हैं. अपने दो हाथों में अस्त्र शस्त्र धारण करती हैं, जबकि दो हाथ वरदमुद्रा में रहते हैं. देवी कालरात्रि का वाहन गधा है. इनका स्वरूप इतना भयंकर और डरावना है कि बुरी शक्तियां इनको देखते या इनके नाम का जप करते ही दूर हो जाती हैं. आइए जानते हैं देवी कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं आरती के बारे में.
मां कालरात्रि पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 07 अप्रैल दिन गुरुवार को रात 08:32 बजे शुरु हुई थी, जिसका समापन आज रात 11:05 बजे होगा. ऐसे में देवी कालरात्रि की पूजा आज होगी.
आज शोभन योग सुबह 10:31 बजे तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग देर रात 01:43 बजे से लेकर अगले दिन 09 अप्रैल को सुबह 06:02 बजे तक है. इस दिन का शुभ समय 11:58 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक है.
मां कालरात्रि पूजा मंत्र
ओम देवी कालरात्र्यै नमः
मां कालरात्रि प्रार्थना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
देवी कालरात्रि की पूजा विधि
महासप्तमी के दिन सुबह में देवी कालरात्रि का स्मरण करें. फिर उनकी फूल, फल, अक्षत्, गंध, धूप, दीप आदि से पूजा करें. संभव हो तो रातरानी का फूल चढ़ाएं. माता को हलवा और गुड़ का भोग लगाएं. इस दौरान देवी कालरात्रि के पूजा और प्रार्थना मंत्र को पढ़ें. अंत में देवी कालरात्रि की आरती करें. देवी कालरात्रि के आशीर्वाद से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
देवी कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली।।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा।।
खड्ग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा।।
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना।।
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी।।
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली मां जिसे बचावे।।
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय।।
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