धर्म-अध्यात्म

आज प्रदोष व्रत के दिन करे शिव शंकर के इन विशेष मंत्रों का जाप...जाने आरती और महत्व

Subhi
24 April 2021 2:27 AM GMT
आज प्रदोष व्रत के दिन करे शिव शंकर के इन विशेष मंत्रों का जाप...जाने आरती और महत्व
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प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। कहा जाता है कि यह व्रत भक्तों को सौभाग्य, दीर्घ जीवन और शांति प्रदान करता है।

प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। कहा जाता है कि यह व्रत भक्तों को सौभाग्य, दीर्घ जीवन और शांति प्रदान करता है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत सभी नकारात्मकता को दूर कर सफलता और खुशी लाता है। यह भी कहा जाता है कि शनि प्रदोष व्रत भी कुंडली से भगवान शनि के बुरे प्रभाव को समाप्त करता है। इस दौरान अगर भोले भंडारी के मंत्रों का जाप किया जाए तो व्यक्ति को भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। हम कुछ मंत्रों की जानकारी लाए हैं जिनका जाप आज के दिन के साथ-साथ प्रतिदिन भी किया जाना आवश्यक माना गया है। मंत्रों के अलावा प्रदोष व्रत पर शिवजी की आरती करना भी बेहद शुभ माना गया है। इससे शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति पर कृपा बनाए रखते हैं।


शिव के प्रिय मंत्र:

1 ॐ नमः शिवाय।

2 नमो नीलकण्ठाय।

3 ॐ पार्वतीपतये नमः।

4 ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

5 ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।

6 ऊर्ध्व भू फट्।

7 इं क्षं मं औं अं।

8 प्रौं ह्रीं ठः।

शिवजी की आरती:

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥


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