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धर्म-अध्यात्म
आज दुर्गा अष्टमी के दिन करें मां महागौरी की आरती, करें इन मंत्रों का जाप
Subhi
13 Oct 2021 4:46 AM GMT
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शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी का बहुत महत्व होता है। हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है।
शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी का बहुत महत्व होता है। हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां महागौरी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। अत्यंत गौर वर्ण वाली मां महागौरी अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं। उनकी कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता, उन्नति और तरक्की मिलती है। मां महागौरी की पूजा से संतान से संबंधित समस्याएं भी दूर होती हैं। मां महागौरी को पूजा में नारियल भोग लगाना उत्तम होता है। महागौरी को पीले या सफेद रंग फूल अर्पित करना चाहिए। संभव हो तो पीले रंग का वस्त्र पहनकर मां महागौरी की पूजा करें।
शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर होता है। महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी के दिन आप मां महागौरी के बीज मंत्र का जाप कर उनकी कृपा पा सकते हैं। पूजा के अंत में आपको मां महागौरी की आरती कर्पूर या फिर गाय के घी वाले दीपक से करना चाहिए। दुर्गा अष्टमी के अवसर पर हम आपको मां महागौरी की आरती एवं महागौरी के बीज आदि के बारे में बता रहे हैं।
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती 'सत' हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।
मां महगौरी के जाप करने वाले मंत्र
महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
महागौरी प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
महागौरी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अन्य मंत्र
ओम देवी महागौर्यै नमः।
माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।
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