धर्म-अध्यात्म

आज शीतला अष्टमी पर इस विधि से करें मां शीतला की पूजा

Tara Tandi
2 April 2024 7:48 AM GMT
आज शीतला अष्टमी पर इस विधि से करें मां शीतला की पूजा
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ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन शीतला अष्टमी को खास माना गया है जो कि चैत्र मास में पड़ता है यह तिथि माता शीतला की साधना आराधना को समर्पित होती है। इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की असीम कृपा प्राप्त होती हैं। पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर किया जाता है।
इस बार यह व्रत आज यानी 2 अप्रैल दिन मंगलवार को किया जा रहा है। शीतला अष्टमी का व्रत होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है माता शीतला देवी पार्वती का ही एक स्वरूप हैं। मां शीतला को आरोग्य की देवी माना गया है इनकी साधना भक्तों को निरोगी रहने का आशीर्वाद प्रदान करती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शीतला अष्टमी की पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं शीतला अष्टमी पर माता की पूजा विधि।
शीतला अष्टमी पूजन विधि—
आपको बता दें कि शीतला अष्टमी के दिन ठंडे पानी से स्नान करके साफ वस्त्रों को धारण करें फिर पूजा की थाली तैयार करें। पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें। वही दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, मौली, होली वाले बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें और साथ में ठंडे पानी का लौटा भी रख दें। इसके बाद देवी शीतला की प्रतिमा पर जल अर्पित करें देवी को चढ़ाया जल थोड़ा रख लें पूजा के बाद इसे आंखों पर लगाएं। इससे आरोग्य मिलता है।
अब नीम के पेड़ पर जल अर्पित कर देवी को कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, अक्षत, कलावा अर्पित करें बासी हलवा, पूड़ी, बाजरे की रोटी, पुए, राबड़ी आदि का भोग अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक बिना जलाएं ही देवी के समक्ष रख दें। शीतला अष्टमी व्रत कथा का पाठ करें। शीतलाष्टक स्तोत्र भी पढ़ें। इसके बाद हल्दी को गिलाकर हाथ में लगाएं और इसे प्रवेश द्वार व रसोई की दीवार पर छापे दें। फि इस बार कुमकुम और चावल लगाए। इस दिन माता को लगा भोग ही परिवार के साथ प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें।
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