- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- आज मोक्षदा एकादशी के...
धर्म-अध्यात्म
आज मोक्षदा एकादशी के दिन करें विष्णु जी के इन मंत्रों का जाप, सभी मनोकामना होगी पूरी
Subhi
14 Dec 2021 1:57 AM GMT
x
मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जान जाता है। मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु के पूजन से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जान जाता है। मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु के पूजन से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए ही इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिया था। इस उपलक्ष्य में इस दिन गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन हरियाणा के कुरूक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के पास मेले का आयोजन किया जाता है। इस साल मोक्षदा एकादशी के का व्रत 14 दिसंबर, दिन मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी के दिन पूजन करने के भगवान विष्णु के मंत्रों के बारे में....
भगवान विष्णु के मंत्र -
1-ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
2-श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
3- नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
4- ऊँ हूं विष्णवे नम:
5- ऊँ विष्णवे नम:
6- ऊँ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
7- ऊँ अं वासुदेवाय नम:
8- ऊँ आं संकर्षणाय नम:
9- ऊँ अं प्रद्युम्नाय नम:
10- ऊँ अ: अनिरुद्धाय नम:
11- ऊँ नारायणाय नम:
12- लक्ष्मी विनायक मंत्र -
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
13- धन-वैभव एवं संपन्नता का मंत्र -
ऊँ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ऊँ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
14- विष्णु के पंचरूप मंत्र -
ऊँ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
15- विष्णु जी का स्तुति मंत्र -
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
16- विष्णु गायत्री महामंत्र-
ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
Next Story