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- आज महानवमी पर इस विधि...
नवरात्रि में नौ दिन तक जगत जननी जगदंबा की विशेष आराधना होती है, जिसमें महा अष्टमी और महानवमी का विशेष महत्व होता है. महानवमी के साथ ही नवरात्रि का समापन होता है. नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है. सिद्धिदात्री को देवी दुर्गा का नौवा रूप माना जाता है. इसी दिन कन्या पूजन भी कराया जाता है. इस दिन हवन व पूजन कार्यक्रम के अलावा रात्रि में नवरात्रि का पारण किया जाता है. मान्यता है कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की विशेष उपासना कर कई सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि भगवान शिव ने भी सिद्धि प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की विशेष उपासना की थी. आइये जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा और शक्तिशाली मंत्र जाप की विधि.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
ज्योतिषियों के अनुसार, जिस तरह भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या करके आठ सिद्धियां प्राप्ती की थी, उसी तरह माता की विधि विधान से पूजा और मंत्रों के उच्चारण से अष्ट सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति हो सकती है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सर्वप्रथम सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. अच्छे वस्त्र धारण करके मां की पूजा का स्थल तैयार करें. चौकी पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें और ध्यान करें. मां सिद्धिदात्री को प्रसाद का भोग लगाएं. माता को फल, फूल आदि अर्पित करें. ज्योति जलाकर सिद्धिदात्री मां की आरती करें. अंत में मां सिद्धिदात्री का आशीर्वाद लेते हुए पूजा समाप्त करें.
मां सिद्धिदात्री के मंत्र
'ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।'
इस मंत्र को पूजा, हवन, कन्या पूजन के समय जपा जाता है. इससे देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
'विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:
स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्
का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।'
स्वर्ग व मोक्ष प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए.