धर्म-अध्यात्म

आज नवरात्रि के पहले दिन माँ श्री शैलपुत्री का पूजन किया जाता है,जानें पूजा विधि,मुहूर्त और महत्व

Kajal Dubey
2 April 2022 1:42 AM GMT
आज नवरात्रि के पहले दिन माँ श्री शैलपुत्री का पूजन किया जाता है,जानें पूजा विधि,मुहूर्त और महत्व
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हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. मां दुर्गा के 9 स्वरूपों में मां शैलपुत्री पहला रूप हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र नवरात्रि का त्योहार आज 2 अप्रैल 2022 से है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है. नवरात्रि में घटस्थापना का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है. मां दुर्गा के 9 स्वरूपों में मां शैलपुत्री पहला रूप हैं. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में पैदा होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा. ऐसे में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा का शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि और आरती-

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन का शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2022 Shubh Muhurat)
घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 22 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 01, 2022 को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अप्रैल 02, 2022 को सुबह 11 बजकर 58 मिनट समाप्त
मां शैलपुत्री पूजा विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi)

- नवरात्रि के पहले दिन एक लकड़ी की पटरे पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर मां शैलपुत्री की मूर्ति रखें.

- मां शैलपुत्री को सफेद रंग की चीजें काफी प्रिय हैं, ऐसे में मां को सफेद रंग की चीजें अर्पित करें.

- मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और सफेद आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें.

- एक साबुत पान का पत्ता लें और उसमें 27 साबुत लौंग रखें.

- इसके बाद ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें.

- मां के मंत्र का जाप करने के बाद लौंग को कलावे से बांधकर माला बना लें. इस लौंग की माला को मां शैलपुत्री को अर्पित करें.

- मां को सफेद बर्फी का भोग लगाएं.

मां शैलपुत्री का मंत्र (Maa Shailputri Mantra)

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्.
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

स्तुति: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मां शैलपुत्री आरती (Maa Shailputri Arti)

शैलपुत्री माँ बैल असवार. करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी. तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें. जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू. दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी. आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो. सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के. गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें. प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे. शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो. चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व

जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें. मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है. नवरात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है


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