धर्म-अध्यात्म

आज चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती हैं, जानें पूजा विधि,मुहूर्त, मंत्र एवं आरती के बारे में

Kajal Dubey
4 April 2022 1:23 AM GMT
आज चैत्र नवरात्रि के तीसरे  दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती हैं, जानें पूजा विधि,मुहूर्त, मंत्र एवं आरती के बारे में
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चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां चंद्रघंटा (की पूजा करते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) की पूजा करते हैं. मां चंद्रघंटा अपने ललाट पर घंटे की तरह चंद्रमा धारण करती हैं, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा है. इनका वाहन सिंह है और ये अपनी 10 भुजाओं में कई प्रकार के अस्त्र शस्त्र धारण करती हैं. इनको युद्ध की देवी माना जाता है क्योंकि ये युद्ध मुद्रा में होती हैं. राक्षसों के अत्याचार को खत्म करने के लिए मां दुर्गा ने यह अवतार लिया था. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति को निडरता एवं वीरता का आशीर्वाद मिलता है. शत्रुओं पर ​विजय के लिए मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए. आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि (Maa Chandraghanta Puja Vidhi), मुहूर्त, मंत्र एवं आरती (Maa Chandraghanta Ki Aarti) के बारे में.

मां चंद्रघंटा पूजा मुहूर्त 2022
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 03 अप्रैल दिन रविवार को दोपहर 12:38 बजे हुई है, इसका समापन 04 अप्रैल दिन सोमवार को दोपहर 01:54 बजे होगा. ऐसे में चैत्र शुक्ल तृतीया आज है यानी आज मां चंद्रघंटा की पूजा होगी.
इस दिन प्रात: 07:43 से प्रीति योग लग रहा है, जो मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है. ऐसे में आप इस समय से मां चंद्रघंटा की पूजा कर सकते हैं. इस दिन का शुभ समय दिन में 11:59 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक है. इस दिन रवि योग दोपहर 02:29 बजे से अगले दिन सुबह 06:07 बजे तक है.
देवी चंद्रघंटा पूजा मंत्र
ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः

मां चंद्रघंटा बीज मंत्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम:

प्रार्थना मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

मां चंद्रघंटा पूजा विधि
आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा चमेली के फूल से करना चाहिए. उनको यह अतिप्रिय है. मां चंद्रघंटा की अक्षत्, कुमकुम, चमेली का फूल, सिंदूर, धूप, दीप, गंध आदि से मंत्रोच्चार के साथ पूजा करनी चाहिए. उनको खीर का भोग लगाएं या फिर दूध से बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं. ये चीजें इनको प्रिय हैं. पूजा का समापन मां चंद्रघंटा की आरती से करें. इसके लिए घी के दीपक या कपूर का उपयोग करें.

मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती, चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली, मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो, चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली, हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये, श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं, सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता, पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा, करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी, भक्त की रक्षा करो भवानी।


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