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- आज सोम प्रदोष व्रत पर...

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। आज सोमवार पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। आज के दिन भगवान शिव की विधिवत तरीके से पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि सोम प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है और हर कष्ट से छूटकारा मिल जाता है। इस बार का सोम प्रदोष व्रत काफी खास है। एक ओर जहां चातुर्मास में पहला प्रदोष व्रत पड़ रहा है। भगवान शिव चातुर्मास के साथ ही सृष्टि के संचार की बागडोर अपने हाथ में ले लेते हैं। जानिए सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 11 जुलाई सुबह 11 बजकर 14 मिनट से शुरू
शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 12 जुलाई सुबह 7 बजकर 46 मिननट तक
सोम प्रदोष व्रत पर बन रहा है खास योग
शुक्ल योग- सूर्योदय से लेकर रात 9 बजकर 1 मिनट तक । इसके बाद ब्रह्म योग लग जाएगा।
रवि योग- सुबह 5 बजकर 15 मिनट से 5 बजकर 32 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 11 जुलाई, सोमवार को सुबह 5 बजकर 31 मिनट से सुबह 7 बजकर 50 मिनट तक
सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों ले निवृत्त होकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
भगवान शिव का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।
अब एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर और थोड़ा सा गुड़ डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के अलावा मां पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी की भी पूजा की जाती है।
भगवान शिव की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले थोड़ा सा जल डालने के बाद फूल, माला के साथ दूर्वा, बेलपत्र, धतूरा, शमी की पत्तियां आदि चढ़ा दें।
इसके बाद भोग लगा दें।
भोग लगाने के बाद धूप-दीपक जलाकर भगवान शिव के मंत्र, चालीसा और व्रत कथा का पाठ कर लें।
अंत में शिव आरती कर लें और दिनभर फलाहारी व्रत रखें।
चतुर्थी तिथि को स्नान आदि करने के बाद पूजा करें और फिर अपना व्रत खोलें।
सोम प्रदोष व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
रुद्र गायत्री मंत्र:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।