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धर्म-अध्यात्म
आज है विनायक चतुर्थी,जानें व्रत एवं पूजा विधि के बारे में
Kajal Dubey
4 May 2022 4:44 AM GMT
![Today is Vinayaka Chaturthi, learn about fasting and worship method Today is Vinayaka Chaturthi, learn about fasting and worship method](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/05/04/1616202--.webp)
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विनायक चतुर्थी व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को होती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैशाख माह का विनायक चतुर्थी व्रत (Vinayak Chaturthi) आज है. आज व्रत रखते हैं और गणेश जी का पूजन करते हैं. विनायक चतुर्थी व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को होती है और संकष्टी चतुर्थी व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है. विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और गणेश जी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, सुख, सौभाग्य, सफलता एवं समृद्धि प्राप्त होती है. संकट और कष्ट दूर होते हैं. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा विधि के बारे में.
विनायक चतुर्थी 2022 पूजा मुहूर्त
वैशाख शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: 04 मई, दिन बुधवार, प्रात: 07:32 बजे से
वैशाख शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन: 05 मई, दिन गुरुवार, सुबह 10:00 बजे
गणेश पूजन मुहूर्त: आज सुबह 10:58 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
रवि योग: पूरे दिन
सुकर्मा योग: शाम 05:07 बजे से
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:31 बजे से दोपहर 03:25 बजे तक
राहुकाल: दोपहर 12:18 बजे से दोपहर 01:58 बजे तक
विनायक चतुर्थी पूजा मंत्र
ओम गं गणपतये नम:
विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें. संभव हो तो लाल या गुलाबी रंग का कपड़ा पहनें.
2. अब आप हाथ में जल, फूल और अक्षत् लेकर विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें.
3. पूजा के शुभ मुहूर्त में पीले रंग वाली चौकी पर गणेश जी की स्थापना करें. फिर उनको लाल फूल, अक्षत्, फल, शक्कर, धूप, दीप, गंध, माला आदि अर्पित करें. इसके बाद दूर्वा की 21 गांठ उनके मस्तक पर चढ़ाएं.
4. अब आप गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं या मोतीचूर के लड्डू का भी भोग लगा सकते हैं.
5. इसके पश्चात गणेश चालीसा, विनायक चतुर्थी व्रत कथा, गणेश मंत्र आदि का पाठ एवं जाप करें.
6. फिर घी के दीपक, कपूर या फिर तिल के तेल से गणेश जी की आरती करें.
7. दोपहर तक विनायक चतुर्थी की पूजा कर लें. आज के दिन चंद्रमा न देखें.
8. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें. दिनभर फलाहार करें और रात्रि के समय में मीठा भोजन करके व्रत को पूरा करें.
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