धर्म-अध्यात्म

आज है वैवस्वत सूर्य पूजा, जाने इस दिन क्यों करते हैं सूर्य पुत्र की आराधना

Subhi
16 July 2021 2:14 AM GMT
आज है वैवस्वत सूर्य पूजा, जाने इस दिन क्यों करते हैं सूर्य पुत्र की आराधना
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वैवस्वत सूर्य पूजा को सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, सूर्य सप्तमी या वैवस्वत सूर्य पूजा हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है।

वैवस्वत सूर्य पूजा को सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, सूर्य सप्तमी या वैवस्वत सूर्य पूजा हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है। इस वर्ष वैवस्वत सूर्य पूजा आज16 जुलाई दिन शुक्रवार को है। सूर्य सप्तमी के दिन भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु की पूजा की जाती है। सूर्य सप्तमी का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य का आशीष मिलता है, साथ ही वह सूर्य कृपा से अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त करता है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना उत्तम माना जाता है और सूर्य देव के वरुण स्वरुप की आराधना की जाती है। आइए जानते हैं कि सूर्य पुत्र वैवस्वत के बारे में।

सूर्य सप्तमी 2021 तिथि

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का प्रारंभ 16 जुलाई को प्रात: 06 बजकर 06 मिनट से हुआ है, जो 17 जुलाई को प्रात: 04 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। इस दिन शिव योग बन रहा है जो सुबह 09 बजकर 43 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 17 जुलाई को प्रात: 07 बजकर 24 मिनट तक है। शिव योग में आप शुभ कार्य कर सकते हैं।

कौन थे वैवस्वत मनु

वैवस्वत मनु भगवान ​सूर्य और संज्ञा के पुत्र थे। वैवस्वत मनु को सत्यव्रत और श्राद्धदेव भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया और राजर्षि सत्यव्रत के समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन जल प्रलय आएगा और धरती जलमग्न हो जाएगी। मानव जाति की रक्षा के लिए तुम एक नाव बनाओ। उसमें सभी जीवों, सभी बीजों के साथ सप्तर्षियों को भी नाव में ले लेना

जब प्रचंड हवा से नाव हिलने लगेगी, तब मैं स्वयं मत्स्य स्वरुप में तुम्हारी रक्षा करुंगा। नाव को मेरी सींग से बांध देना। प्रलय की समाप्ति तक मैं नाव को खींचता रहूंगा। प्रलय के समय भगवान मत्स्य ने उस नाव को हिमालय की चोटी से बांध दिया। प्रलय के खत्म होने पर भगवान विष्णु ने फिर से वेदों का ज्ञान दिया, जिसे ग्रहण करके सत्यव्रत वैवस्‍वत मनु कहलाने लगे। ऐसी मान्यता है कि उस नाव जो लोग सवार थे, उनके कारण ही संसार चल रहा है।



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