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- आज है वैशाख पूर्णिमा,...
वैशाख मास को बहुत ही पवित्र मास माना जाता है। इस माह में आने वाले त्योहार भी इस मायने में खास हैं। वैशाख पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। इस बार माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित यह पूर्णिमा 16 मई, सोमवार की है। यह पूर्णिमा और भी खास इसलिए है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार महात्मा बुद्ध को पवित्र तीर्थ स्थान बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। इस कारण बुद्ध के अनुयायियों के लिए तो यह दिन खास है ही लेकिन महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार भी बताया जाता है, जिस कारण यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पीपल के पेड़ पर विभिन्न देवी देवताओं का वास होता है, इसलिए वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं वैशाख पूर्णिमा पर पीपल से जुड़े कौन से उपाय जिनसे सभी बिगड़े काम पूरे होंगे।
पीपल के पेड़ का महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ का विशेष महत्व है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीनों देवताओं का वास होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पीपल के पेड़ पर हर वक्त माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है।
वैशाख पूर्णिमा पर करें पीपल से जुड़ें ये उपाय
पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। जल में काला तिल मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्पित करें।
जिस की कुंडली में शनिदोष हो उसे पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए, जिससे शनिदोष का प्रभाव कम हो जाता है और उन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं।
शनि दोष से पीड़ित हैं तो इससे मुक्ति के लिए वैशाख पूर्णिमा की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
पितृ दोष से निजात पाने के लिए न सिर्फ वैशाख पूर्णिमा पर बल्कि प्रतिदिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें। जल देने के बाद काले रंग के कुत्ते को रोटी भी खिलाएं।
किसी काम में अड़चन आ रही हो तो वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ के नीच बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
पौराणिक मान्यता के अनुसार पीपल के पेड़ पर सूर्योदय के पश्चात लक्ष्मी का वास हो जाता है, अतः स्नान करके पीपल के पेड़ पर दूध और जल चढ़ाने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।