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धर्म-अध्यात्म
आज है स्कंदमाता की पूजा, चैत्र नवरात्रि में जानें विधि और शुभ मुहूर्त
Teja
6 April 2022 5:26 AM GMT
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आज चैत्र नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज चैत्र नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कंदमाता को प्रेम और वात्सल्य की देवी कहा जाता है। मान्यता के मुताबिक स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। माता को लाल रंग प्रिय है इसलिए इनकी आराधना में लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करना चाहिए।
चवां दिन- शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:34 AM से 05:20 AM
विजय मुहूर्त- 02:30 PM से 03:20 PM
गोधूलि मुहूर्त- 06:29 PM से 06:53 PM
अमृत काल- 04:06 PM से 05:53 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
स्कंदमाता पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
- स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
- मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
- मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- मां की आरती अवश्य करें।
ऐसे करें माता की पूजा
कुश अथवा कंबल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए। पौराणिक तथ्यों के अनुसार, स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है।
स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता की पूजा का महत्व
- मान्यता है कि संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण करने के लिए दंपत्तियों को इस दिन सच्चे मन से मां के इस स्वरूप की आराधना करनी चाहिए इससे उनकी मुराद पूरी होती है।
- भगवान कार्तिकेय यानी स्कन्द कुमार की माता होने के कारण दुर्गाजी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है।
- देवी के इस स्वरूप मेंभगवान स्कंद बालरूप में माता की गोद में विराजमान हैं। माता के इस स्वरूप की 4 भुजाएं हैं। शुभ्र वर्ण वाली मां कमल के पुष्प पर विराजित हैं।
- इसी कारण इन्हें पद्मासना और विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है। स्कंदमाता को सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। एकाग्रता से मन को पवित्र करके मां की आराधना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माता का भोग और भेंट
स्कंदमाता को भोग स्वरूप केला अर्पित करना चाहिए। मां को पीली वस्तुएं प्रिय होती हैं, इसलिए केसर डालकर खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं। नवरात्र के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री लाल फूल और अक्षत के समेत मां को अर्पित करने से महिलाओं को सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। जो भक्त देवी स्कंद माता का भक्ति-भाव से पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।
स्कंदमाता के स्वरूप की कथा
देवी पुराण के अनुसार तारकासुर नाम का एक असुर था। उसने कठोर तप करके ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसका अन्त यदि हो तो महादेव से उत्पन्न पुत्र से ही हो। तारकासुर ने सोचा कि महादेव तो कभी विवाह करेंगे नहीं और न ही उनके पुत्र होगा। इसलिए वह अजर अमर हो जायेगा। तारकासुर ने आतंक मचाना शुरू कर दिया। त्रिलोक पर अधिकार कर लिया। समस्त देवगणों ने महादेव से विवाह करने का अनुरोध किया। महादेव ने पार्वती से विवाह किया। तब स्कंदकुमार का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का अन्त कर दिया।
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