धर्म-अध्यात्म

आज है शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन, ऐसे करें मां चंद्रघटा की पूजा, ऐश्वर्य और समृद्धि की होगी प्राप्ति

Renuka Sahu
28 Sep 2022 1:23 AM GMT
शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप माता चंद्रघंटा की पूजा का विधान है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप माता चंद्रघंटा की पूजा का विधान है. मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना है. जिस वजह से उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनके शरीर का रंग सोने के समान होता है. इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं. इनका वाहन सिंह है. इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है. इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरूप की उपासना करने से साहस में वृद्धि होती है.

ऐश्वर्य और समृद्धि की होती है प्राप्ति
मान्यता है कि शेर पर सवार मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के कष्ट खत्म हो जाते हैं. इनकी उपासना करने से मन को शांति भी मिलती है. मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही सुखी दाम्पत्य जीवन मिलता है. इस दिन ब्राह्मण को दूध दान में दिया जाता है. इस दिन सिंदूर लगाने का भी परंपरा है. माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से मां चंद्रघंटा खुश होती हैं और व्यक्ति के सभी दुखों का नाश करती हैं.
दूध या इससे बनी मिठाइयों का लगाये भोग
मां दुर्गा के हर स्वरूप की पूजा में अलग-अलग प्रकार का भोग लगाया जाता है. मां चंद्रघंटा को दूध या इससे बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए. इसे अलावा मां चंद्रघंटा को रामदाना या शहद का भी भोग लगा सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय भूरे रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. मां को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है. इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है. अगर आप ऐश्वर्य की प्राप्ति करना चाहते हैं तो चंदन के माले पर 'ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः, शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सा न किं जनैः' का मंत्र पढ़ना चाहिए.
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम. पूर्ण कीजो मेरे सभी काम. चंद्र समान तुम शीतल दाती. चंद्र तेज किरणों में समाती. क्रोध को शांत करने वाली. मीठे बोल सिखाने वाली. मन की मालक मन भाती हो. चंद्र घंटा तुम वरदाती हो. सुंदर भाव को लाने वाली. हर संकट मे बचाने वाली. हर बुधवार जो तुझे ध्याये. श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं. मूर्ति चंद्र आकार बनाएं. सन्मुख घी की ज्योति जलाएं. शीश झुका कहे मन की बाता. पूर्ण आस करो जगदाता. कांचीपुर स्थान तुम्हारा. करनाटिका में मान तुम्हारा. नाम तेरा रटूं महारानी. भक्त की रक्षा करो भवानी.


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