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सावन का आखिरी सोमवार आज, अपनी मां की अच्छी सेहत और सुखों में वृद्धि के लिए करें महाउपाय
आज सावन के महीने का आखिरी सोमवार है. आज के दिन भगवान शिव की साधना अत्यंत शुभ एवं शीघ्र फलदायी होती है. भगवान शिव की साधना अत्यंत ही सरल है और भगवान शंकर बहुत ही जल्दी ही अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाना प्रारंभ कर देते हैं. शिव की कृपा से उनका भक्त कभी भी किसी कठिनाई में नहीं रहता है. ऐसे में आज सावन के सोमवार को आप अपनी सुख-समृद्धि के साथ-साथ अपनी मां की उत्तम सेहत और सुखों में वृद्धि के लिए महाउपाय कर सकते हैं. यदि इस कोरोना काल में आपकी मां या मां के समान कोई महिला बीमार चल रही हो तो उनके शारीरिक कष्टों को दूर करने के लिए आपको सावन के सोमवार को नीचे दिया गया उपाय विशेष रूप से करना चाहिए क्योंकि माता के सुख एवं आरोग्य के लिए शिव साधना बहुत फलदायी है.
मां के बेहतर स्वास्थ्य के लिए करें ये उपाय
भगवान शिव की पूजा से जुड़ा यह उपाय करने के लिए आपको सावन के सोमवार के दिन अथवा किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के सोमवार को शुभ मुहूर्त में अपनी मां के उत्तम स्वास्थ्य एवं सुख-समृद्धि की कामना लिए हुए संकल्प लेकर शिवलिंग पर दूध का विशेष रूप से अभिषेक करना चाहिए. यदि संभव हो तो सोमवार का व्रत भी रखें और अपनी मां की मंगलकामना करते हुए भगवान शिव के 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जप करें.
अधिक शारीरिक कष्ट होने पर करें ये महाउपाय
यदि आपकी माता को अधिक कष्ट हो तो संकल्प लेकर सविधि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाएं. मान्यता है कि मृत्युंजय की आराधना करने से सारे दुख और तकलीफें दूर हो जाती हैं. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु तो टलती है, व्यक्ति रोगमुक्त भी रहता है. भगवान मृत्युंजय मनुष्य के सारे दु:खों के साथ उसकी सारी परेशानियों और अहंकार का हरण कर लेते हैं. मंत्र जप के साथ ही माता के नाम से चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करें. चंद्र की महादशा के दौरान और मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए भी सोमवार का व्रत और शिव आराधना बहुत लाभदायक है.
अकाल मौत को टालता है यह महामंत्र
ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म कुंडली में शनि और मंगल के कुप्रभाव से दुर्घटना या अकाल मौत होने का योग हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूरे विधि-विधान से कररना चाहिए. इस जप के प्रभाव से अकाल मौत का खतरा टल जाता है और ग्रहों से संबंधित सभी पीड़ा शांत हो जाती है
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)