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आज है सावन मंगलवार का आखिरी मंगला गौरी व्रत, जाने विशेष पूजा विधि
![आज है सावन मंगलवार का आखिरी मंगला गौरी व्रत, जाने विशेष पूजा विधि आज है सावन मंगलवार का आखिरी मंगला गौरी व्रत, जाने विशेष पूजा विधि](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/08/17/1246621-19.webp)
सावन मास में पड़ने वाला आज का आखिरी मंगलवार है। भगवान शिव की तरह ही सावन मास माता पार्वती को बेहद पसंद है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का पालन किया जाता रहा है। आज सावन का चौथा मंगलवार है। इस दिन सुहागिन महिलाएं मंगला गौरी व्रत का पालन पूरे विधि-विधान से करती हैं। जिसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। मंगला गौरी व्रत करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है इससे जीवन में खुशियों का आगमन होता है। आइये जानते है मंगला गौरी पूजा विधि और इसके महत्व के विषय में।
मंगला गौरी पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए। पूजास्थल को अच्छे से साफ-सुथरा कर लेना चाहिए। साफ करके के बाद वहां एक लकड़ी का एक छोटा सा तख्त रखकर उसके ऊपर लाल कपड़ा डाल लेना चाहिए। उसके बाद मां मंगला गौरी और भगवान गणेश जी की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत पूजा में मां को वस्त्र, सुहाग की सामग्री, 16 श्रृंगार, 16 चूडियां, 16 सूखे मेवे, नारियल, फल, इलायची, लौंग, सुपारी और मिठाई आदि अर्पित किया जाता है। पूजा के बाद माता गौरी की आरती करें। कथा सुनना सबसे जरूरी कार्य है। माता जी को अर्पित प्रसाद सभी भक्तजनों के बीच विवतरित करें।
मंगला गौरी पूजा का महत्व
सावन में माता मंगला गौरी के पूजा से अखण्ड सौभाग्यवती होने का फल मिलता है। इससे वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। भविष्य पुराण के अनुसार अखण्ड़ सौभाग्यवती और संतान प्राप्ति की कामना से मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियां रखती है और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।