धर्म-अध्यात्म

शारदीय नवरात्र का आज अंतिम दिन, मां सिद्धिदात्री देती हैं बुरे कर्मों से लड़ने की शक्ति, कन्या पूजा करने से कष्टों का होगा निवारण

Renuka Sahu
4 Oct 2022 12:58 AM GMT
Today is the last day of Shardiya Navratri, Maa Siddhidatri gives the power to fight against bad deeds, worshiping the girl will solve the problems.
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

शारदीय नवरात्र का आज अंतिम दिन है. इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शारदीय नवरात्र का आज अंतिम दिन है. इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इनकी अराधना से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. सच्चे मन से पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, जब महिषासुर ने अत्याचारों की अति कर दी थी. तब सभी देवतागण भगवान शिव और विष्णु के पास मदद मांगने गये थे. महिषासुर का अंत करने के लिए सभी देवताओं ने तेज उत्पन्न किया था. जिससे मां सिद्धिदात्री की उत्पति हुई थी. इसलिए इनकी पूजा करने से बुरे कर्मों से लड़ने की शक्ति मिलती है.

मां को अनार और तिल का चढ़ाये भोग
मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं है. इनका वाहन सिंह है. मां कमल पर विराजमान हैं. मां के चार हाथ हैं. मां ने इन चारों हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है. सबसे पहले मां सिद्धिदात्री की तस्वीर या मूर्ति रखें. फिर मां की आरती और हवन करें. इस दिन बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर मां की अराधना करनी चाहिए. महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करके उन्हें अनार और तिल का भोग लगाना चाहिए. महानवमी के दिन अनाज का भोग भी लगाया जाता है. मां को प्रसन्न करने के लिए हलवा, चना-पूरी, खीर और पुआ चढ़ा सकते हैं. ऐसा करने से मां सिद्धिदात्री अनहोनी से अपने भक्तों की रक्षा करती है.
इन मंत्रों का करें जाप
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्। कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
सिद्धिदात्री की अराधना से सिद्धि की होती है प्राप्ति
मां सिद्धिदात्री को कई नाम से पुकारा जाता है. उन्हें सिद्धि और मोक्ष की देवी भी कहा जाता है. मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, लघिमां, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, वाशित्व, सर्वज्ञत्व सिद्धियां हैं. ये आठों सिद्धियां मां की पूजा करने से प्राप्त की जा सकती है. मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को मां से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई हैं. हनुमान चालिसा में भी इन्हीं आठ सिद्धियों का वर्णन किया गया है. 'अष्टसिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन्ह जानकी माता'.
मां सिद्धिदात्री ने शिव को दी थी आठ सिद्धियां
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव मां से सिद्धि प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रहे थे. शिव की तपस्या से प्रसन्न होकर मां सिद्धिदात्री ने उन्हें आठों सिद्धियों का वरदान दिया था. मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने के बाद भगवान शिव का आधा शरीर देवी के शरीर का रूप ले लिया था. इस रूप को अर्धनारीश्वर कहा गया.

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में कन्या पूजन का विशेष महत्व
नवरात्रि में व्रत-पूजन का फल कन्या पूजन के बिना नहीं मिलता. देवी पुराण के अनुसार, चैत्र और शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर 9 कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है. इसे कंजक खिलाना भी कहते हैं. कन्या और बटुक की पूजा से देवी दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं. नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करने से दोगुना फल मिलता है.
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त – 11.52 PM – 12.39 PM
गोधूलि मुहूर्त – 05.58 PM – 06.22 PM
अमृत मुहूर्त – 04.52 PM – 06.22 PM
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