धर्म-अध्यात्म

आज है अधिक मास की पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

SANTOSI TANDI
1 Aug 2023 7:23 AM GMT
आज है अधिक मास की पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
अधिक मास का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व माना जाता है।
इस माह में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। मान्यता है कि अधिक मास में जितनी हो सके उतनी पूजा करनी चाहिए।
वहीं, अधिक मास की पूर्णिमा तिथि भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस माह की पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा होती है।
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स का कहना है कि अधिक मास की पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी अपना दिव्य कलश खोलती हैं।
ऐसे में आइये जानते हैं अधिक मास की पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त के बारे में। साथ ही, जानेंगे क्या है पूर्णिमा की पूजा विधि।
अधिक मास पूर्णिमा 2023 तिथि
अधिक मास पूर्णिमा तिथि आरंभ: 1 अगस्त, दिन मंगलवार, रात 3 बजकर 52 मिनट
अधिक मास पूर्णिमा तिथि समापन: 2 अगस्त, दिन बुधवार (बुधवार के उपाय), रात 12 बजकर 1 मिनट
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, अधिक मास पूर्णिमा 1 अगस्त को पड़ेगी।
अधिक मास पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त
स्नान दान के लिए शुभ मुहूर्त: सुबह 5 बजकर 14 मिनट से 6 बजे तक
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: सुबह 7 बजकर 52 मिनट से 8 बजकर 54 मिनट
लक्ष्मी पूजा के लिए मुहूर्त: सुबह 9 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 52 मिनट
चंद्रोदय का समय: रात 7 बजकर 10 मिनट
अधिक मास पूर्णिमा 2023 पूजा विधि
अधिक मास की पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें और अर्घ्य के समय सूर्य मंत्रों का जाप करें।
इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और उन्हें धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें।
अधिक मास की पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा अवश्य पढ़ें।
भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और केला एवं पंजीरी का भोग लगाएं।
इसके बाद प्रसाद वितरण करें। फिर शाम के समय मां लक्ष्मी की पूजा करें।
चंद्रमा को अर्घ्य दें और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। लक्ष्मी चालीसा पढ़ें।
मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। पूर्णिमा के दिन दान करना न भूलें।
अधिक मास पूर्णिमा 2023 उपाय
इस दिन धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
सौभाग्य पाने के लिए इस दिन श्रृंगार का सामान किसी को भेंट में दें।
सुख-समृद्धि के लिए इस दिन श्री हरि के 'विष्णु सहस्त्रनाम' का पाठ करें।
चंद्रमा को मजबूत करने के लिए चांद को गुलाब दिखाकर जल में प्रवाहित करें।
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