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आज है भादों मास का पहला प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और उपाय
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास चल रहा है. इस महीने में भगवान कृष्ण और गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है. प्रदोष व्रत इस बार शनिवार को पड़ रहा है इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है.
शनिवार दिन पड़ने की वजह से भगवान शिव के साथ शनिदेव की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के दोनों पक्षों की तृतीयी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनिदोष या शनि की साढे़ साती चल रही है तो त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा करने से शनि साढ़े साती से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में ही होती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपके सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं. इस बार त्रयोदशी तिथि 04 सितंबर 2021 को शनिवार सुबह 08 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगा और तिथि का समापन 05 सितंबर रविवार 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत और उपवास करने का संकल्प लें. इसके बाद शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को बेलपत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप ,दीप, पान और सुपारी अर्पित करें. इसके बाद शुद्ध देसी घी का दीपक जलाकर प्रजवलित करें और शिव चालीसा का पाठ करें.
शनि प्रदोष के दिन करें ये उपाय
अगर आपकी कुंडली में शनिदोष की परेशानी चल रही है तो प्रदोष व्रत के दिन शनि स्त्रोत का पाठ करें.
इसके अलावा शनि मंत्रों का जाप करें.
शनि प्रदोष के दिन बूंदी के लड्डू को चढ़ाकार काली गाय को खिलाएं.