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वैसे तो पूरा सावन का महीना ही भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए अत्यंत शुभ और कल्याणकारी है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैसे तो पूरा सावन का महीना ही भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए अत्यंत शुभ और कल्याणकारी है। लेकिन श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार को पूजा, व्रत और मंत्र जप के लिए अत्यंत मंगलकारी माना गया है। शिवपुराण के अनुसार नारदजी ने पार्वतीजी की तपस्या के समय शिवजी को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए ॐ नमः शिवाय के मंत्र का महत्व बताया। और इसी मंत्र के जप से देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करके पति रूप में पाया। ये महामंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल साधन है। यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ, परिपूर्ण और स्वभावतः निर्मल है इसके समान अन्य कुछ नहीं है।
महत्व-
शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं एवं स्वयं शिव इसके देवता हैं। नमः शिवाय की पंच ध्वनियां सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है। सबसे पहले शिवजी ने अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था। भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं ।क्रमानुसार 'न' पृथ्वी,'मः'पानी,'शि'अग्नि ,'वा' प्राणवायु और 'य' आकाश को इंगित करता है। शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है। वेदों और पुराणों के अनुसार शिव अर्थात सृष्टि के सृजनकर्ता को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ "ॐ नमः शिवाय" का जप ही काफी है। भोलेनाथ इस मंत्र से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर महाकाल की असीम कृपा बरसने लगती है। स्कन्दपुराण में कहा गया है कि-'ॐ नमः शिवाय 'महामंत्र जिसके मन में वास करता है,उसके लिए बहुत से मंत्र,तीर्थ,तप व यज्ञों की क्या जरूरत है।यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है,पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक,परलौकिक सुख देने वाला है।
मंत्र जप के नियम-
ॐ नमः शिवाय बहुत चमत्कारी मंत्र है, इस मंत्र का जप पूरे भक्ति-भाव और शुद्धता के साथ निर्मल भाव से करना चाहिए। इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार हर दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए,क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। शिव के 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप कहीं भी और किसी भी समय किया जाता है। लेकिन यदि आप बिल्व वृक्ष के नीचे,पवित्र नदी के किनारे या शिव मंदिर में इस मंत्र का जप करेंगे तो उसका फल सबसे उत्तम प्राप्त होगा। इस मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति, संतान की प्राप्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है एवं इस मंत्र के जाप से सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं।
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