- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- शारदीय नवरात्र का आज...
धर्म-अध्यात्म
शारदीय नवरात्र का आज आठवां दिन, महागौरी की पूजा करने से संतान संबंधी समस्या होगी दूर, मां को नारियल का लगाये भोग
Renuka Sahu
3 Oct 2022 12:59 AM GMT
x
न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in
शारदीय नवरात्र का आज आठवां दिन है. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शारदीय नवरात्र का आज आठवां दिन है. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है.नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बहुत अधिक होता है. इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी. इसलिए माता के इस स्वरूप की उपासना करने से संतान संबंधी समस्या दूर होती है. इनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और भक्तों के सभी पापों का भी नाश होता है.
मां महागौरी को नारियल का लगाये भोग
मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है. उनके चेहरे पर एक अलग सी तेज है. जो बहुत मनमोहक है. मां की चार भुजाएं हैं. मां के ऊपर दाहिने हाथ अभय मुद्रा और निचले हाथ में त्रिशूल है. महागौरी के ऊपर बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ शांत मुद्रा में है. मां का वाहन बैल है. मां का प्रिय फूल रात की रानी है. मां महागौरी को सफेद और पीले फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है. महागौरी को नारियल बहुत प्रिय है. ऐसा करने से देवी महागौरी प्रसन्न होती हैं.
महागौरी की पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव होते हैं कम
मान्यता है कि महा अष्टमी में सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. माता महागौरी को ममता की मूरत कहा जाता है. राहु ग्रह पर मां महागौरी का आधिपत्य रहता है. इसलिए इनकी पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं. शादी-विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए भी मां महागौरी की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है. साथ ही पारिवारिक कलह कलेश भी खत्म हो जाता है.
मां महागौरी की कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने महादेव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस दौरान माता हजारों वर्षों तक निराहार रहीं. तप के प्रभाव से माता का शरीर काला पड़ गया. जब महादेव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से कांतिमय बना दिया. इसके बाद माता का रंग एकदम साफ हो गया. तब से माता को महागौरी के रूप में भी जाना जाने लगा.
Renuka Sahu
Next Story