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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी कल 24 जनवरी दिन रविवार को थी। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु की विधि विधान से पूजा हुई। व्रत रखते हुए व्रत कथा का श्रवण किया गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों को पुत्र की प्राप्ति का आशीष प्राप्त होता है। इस वजह से ही इसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। जिन लोगों को कोई संतान नहीं होती है, उनको विशेष तौर पर यह व्रत करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं कि आज पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण का सही और उचित समय क्या है।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत मुहूर्त
हिन्दी पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 23 जनवरी दिन शनिवार को रात 08 बजकर 56 मिनट पर हो गई। यह तिथि 24 जनवरी दिन रविवार को रात 10 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि 24 जनवरी को मिल रही है, इसलिए पुत्रदा एकादशी का व्रत रविवार को ही रखा जाएगा।
पारण का समय
जो लोग एकादशी का व्रत रखेंगे, उनको 25 जनवरी दिन सोमवार को सुबह 07 बजकर 13 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट के बीच कर लेना चाहिए। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी के समापन से पूर्व कर लेना चाहिए। द्वादशी तिथि का समापन 25 जनवरी को देर रात 12 बजकर 24 मिनट पर होगा।
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्रदा एकादशी, जैसा कि नाम से ही ज्ञात है कि यह एकादशी पुत्र रत्न देने वाली है। पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान को दीर्घ आयु प्राप्त होता है और उसका कल्याण होता है। इस व्रत को नि:संतान दंपत्ति और संतान से संपन्न दंपत्ति दोनों ही कर सकते हैं।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '
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