धर्म-अध्यात्म

आज है सुख- समृद्धि देने वाला बुध प्रदोष व्रत...जाने पूजा महत्व

Subhi
24 Feb 2021 2:15 AM GMT
आज है सुख- समृद्धि देने वाला बुध प्रदोष व्रत...जाने पूजा महत्व
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हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है. एकादशी की तरह इस व्रत का भी खास महत्व है

हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है. एकादशी की तरह इस व्रत का भी खास महत्व है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी को किया जाता है. दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का महत्व अलग हो जाता है. आज फरवरी महीने के दूसरा प्रदोष व्रत पड़ रहा है. बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने की वजह से इसे बुध प्रदोष के नाम से भी जाना जाता है.

इस प्रदोष व्रत को करने से घर में सुख – समृद्धि और सौभाग्य आता है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. इसके अलावा कुंडली में बुध और चंद्रमा की स्थिति भी बेहतर होती है.
शुभ मुहूर्त
24 फरवरी 2021 दिन बुधवार
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारंभ : 24 फरवरी को शाम 06ः05 मिनट पर
समाप्त : 25 फरवरी को शाम 05ः18 मिनट पर
व्रत विधि
प्रदोष व्रत करने के लिए त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा के स्थान पर आसन लगाकर बैठें. भगवान शिव का ध्यान करें और मन ही मन व्रत का संकल्प लें. दिनभर निराहार रहकर व्रत करें. किसी की बुराई, चुगली न करें और न ही किसी को अपशब्द कहें. दिनभर मन में भगवान का ध्यान और मनन करें. शाम को पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन कराकर दक्षिणा दें और व्रत खोलें. ब्रह्रमचर्य का पालन करें.

पूजा विधि
प्रदोष की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. इसे प्रदोष काल कहा जाता है. इस दौरान स्नान करने के बाद पूजा के लिए बैठें. महादेव और माता पार्वती को चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें. महिलाएं माता रानी को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं तो काफी शुभ माना जाता है. इसके बाद मंत्र जाप और व्रत कथा पढ़ें. आखिर में आरती करें.
व्रत कथा

एक पुरुष का नया विवाह हुआ. विवाह के दो दिनों बाद उसकी पत्‍नी मायके चली गई. कुछ दिनों के बाद वो पुरुष पत्‍नी को लेने उसके मायके पहुंचा. बुधवार को जब वो पत्‍नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्‍न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता. लेकिन वो नहीं माना और पत्‍नी के साथ चल पड़ा. नगर के बाहर पहुंचने पर पत्‍नी को प्यास लगी. पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा. पत्‍नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई. थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा, तब उसने देखा कि उसकी पत्‍नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है. उसको क्रोध आ गया.
वो निकट पहुंचा तो उसके आश्‍चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उस आदमी की सूरत उसी की तरह थी. दोनों पुरुष झगड़ने लगे. भीड़ इकट्ठी हो गई. सिपाही आ गए. हमशक्ल आदमियों को देख पत्‍नी भी सोच में पड़ गई. लोगों ने स्त्री से पूछा, उसका पति कौन है, तो उसने पहचान पाने में असमर्थता जताई. तब उसका पति शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा, हे भगवान! हमारी रक्षा करें. मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्‍नी को विदा करा लिया. मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा.
जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया. इसके बाद पति-पत्‍नी सकुशल अपने घर पहुंच गए. उस दिन के बाद से पति-पत्‍नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखने लगे और खुशहाली के साथ जीवन बिताने लगे.


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