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आज 4 मई को शीतला अष्टमी व्रत है. यह मां शीतला को समर्पित है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज 4 मई को शीतला अष्टमी व्रत है. यह मां शीतला को समर्पित है. इस दिन मां शीतला की पूजा-अर्चना बहुत ही विधि विधान से की जाती है. मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की पूजा करने से माता प्रसन्न होती है और चेचक एवं संक्रामक रोगों को दूर करती हैं. इनकी पूजा करने से शरीर निरोग बनती है. मां, स्किन संबंधी रोगों से भक्त की रक्षा करती हैं. माता शीतला की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों को कई तरह के संतापों से भी मुक्ति मिलती है.
शीतला माता का स्वरूप
माता शीतला की सवारी खर {गधा} है. उनके एक हाथ में कलश {घड़ा} है और दूसरे हाथ में कुश की झाडू है. कहा जाता है कि घड़े में जल होता है. इस जल से माता शीतला अपने भक्तों के कष्ट दूर करती हैं.
शीतला माता का भोग
शीतलाष्टमी को 'बसौड़ा' भी कहा जाता है. यह व्रत माता शीतला को समर्पित है. इस व्रत में महिलायें एक दिन पहले पूड़ी और पकवान बनाकर रख लेती है. अगले दिन अर्थात अष्टमी के दिन पूजा के समय माता शीतला को ठंडे भोजन का भोग लगाती है.
पूजा विधि:
शीतला अष्टमी के दिन महिलायें सुबह उठकर स्नानादि करके पूजा-पाठ करें. उसके बाद पूजा वेदी पर माता शीतला का चित्र स्थापित करें. अब व्रत का संकल्प लें. इस दौरान व्रती को फलाहार ही लेना चाहिए. उन्हें किसी प्रकार का भोजन नहीं करना चाहिए. शाम तक व्रत रखें. शाम को फिर से माता शीतला की पूजा करें. आरती आदि करके व्रत का पारण करें. पास के शीतला माता के मंदिर में जाकर एक लोटा जल अर्पित करें और माता का दर्शन करें. माता शीतला की पूजा-अर्चना में स्वछता/पवित्रता का विशेष महत्व है. इस लिए भक्त को चाहिए कि सफाई का विशेष ध्यान रखें.
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Ritisha Jaiswal
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