धर्म-अध्यात्म

आज है 'शीतला अष्टमी', जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Tara Tandi
2 July 2021 11:40 AM GMT
आज है शीतला अष्टमी, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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शीतला अष्टमी 2021 हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |शीतला अष्टमी 2021 हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन है क्योंकि इस दिन वो सर्वोच्च देवी पार्वती के अवतार माता शीतला की पूजा करते हैं. माता शीतला को विभिन्न रूपों में क्षेत्रवार पूजा जाता है. कुछ मंदिरों में, उन्हें रक्तबती के साथ पेश किया जाता है, जो रक्त संक्रमण और 64 महामारियों की देवी कहलाती हैं, गेन्टू देवता के साथ, जो त्वचा रोगों के देवता हैं, ज्वरासुर दानव के साथ, जो बुखार का कारण बनता है, अक्सर हैजा की देवी ओलादेवी के साथ पूजा की जाती है. ये शुभ दिन आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है. इस वर्ष ये दिन 2 जुलाई 2021 को मनाया जा रहा है.

शीतला अष्टमी 2021 की तिथि और समय
2 जुलाई 2021 को अष्टमी तिथि दोपहर 01:58 बजे तक है
सूर्योदय 06:26 प्रात:
सूर्यास्त 06:18 सायं
ब्रह्म मुहूर्त 04:49 प्रात: – 05:38 प्रात:
अमृत ​​सिद्धि योग 06:26 प्रात: – 04:44 3 जुलाई 2021 को
शीतला अष्टमी 2021 : आइकॉनोग्राफी
देवी गधे की सवारी करती हैं और उन्हें चार हाथों से चित्रित किया गया है. एक हाथ में, वो शुद्धिकरण की प्रक्रिया का प्रतीक झाड़ू रखती हैं, दूसरे हाथ में शुद्ध और उपचार पानी से भरा एक बर्तन है, इस बीच, उनके तीसरे हाथ में, वो औषधीय रूप से मूल्यवान नीम के पेड़ की कुछ शाखाएं रखती हैं और चौथे हाथ में देवी अपने द्वारा नष्ट किए गए कीटाणुओं को इकट्ठा करने के लिए एक कूड़ेदान रखती हैं.
इसके अलावा, उनका चित्रण जगह-जगह अलग-अलग होता है, कुछ स्थानों पर उन्हें आठ हाथों से चित्रित किया गया है, जिसमें त्रिशूल, झाड़ू, डिस्कस, पवित्र जल का एक बर्तन, नीम की शाखाएं, कैंची, शंख और एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में हैं.
शीतला अष्टमी 2021 का महत्व
शीतला का अर्थ है जो ठंडा/शांत हो जाता है और जैसा कि नाम से पता चलता है, देवी शीतला भक्तों को ज्वरासुर यानी बुखार से बचाती हैं. वो सभी कीटाणुओं को मिटा देती हैं और उन्हें कूड़ेदान में जमा कर देती हैं. वो चेचक, खसरा आदि विभिन्न रोगों की नियंत्रक हैं. माना जाता है कि देवी अपने भक्तों को विभिन्न महामारी रोगों से भी बचाती हैं.
शीतला अष्टमी 2021 : किंवदंती
स्कंद पुराण के अनुसार, देवताओं द्वारा किए गए यज्ञ से देवी शीतला का उदय हुआ. उसी क्षण भगवान शिव के पसीने से एक राक्षस ज्वरासुर का जन्म हुआ. ज्वरासुर रोग फैलाने वाला राक्षस था. देवी शीतला ने ज्वरासुर को परास्त कर संसार की रोगों से रक्षा की.
शीतला अष्टमी 2021 की पूजा विधि
– इस दिन भोजन पकाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि लोग आग नहीं जलाते हैं. वो एक दिन पहले पका हुआ खाना खाते हैं. इस त्यौहार को बसोड़ा भी कहते हैं क्योंकि बासी भोजन लिया जाता है.
– सूर्योदय से पहले भक्त ठंडे पानी से स्नान करते हैं.
– कुछ भक्त अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों से सुरक्षा के लिए आशीर्वाद लेने के लिए उपवास रखते हैं.
– भक्त देवी की मूर्तियों को चंदन और हल्दी के पेस्ट से सजाते हैं और फूल और प्रसाद चढ़ाते हैं. वो मंदिरों में भी जाते हैं.
– इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है.
– भक्त शीतलाष्टक का पाठ करते हैं
शीतला अष्टमी 2021 का मंत्र
वंदेहन शीतला देवी रासभस्थथांडिगंबरम,
मार्जनीकलाशोपेटन सूरपालंकर्तमस्तकम्
नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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