धर्म-अध्यात्म

आज है शनि प्रदोष व्रत, शिव कृपा पाने के लिए करें ये काम

Tara Tandi
1 July 2023 8:34 AM GMT
आज है शनि प्रदोष व्रत, शिव कृपा पाने के लिए करें ये काम
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आज यानी 1 जुलाई दिन शनिवार को शिव पूजा अर्चना को समर्पित शनि प्रदोष व्रत किया जा रहा हैं जो कि भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम दिन माना जाता हैं। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार पड़ता हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं ऐसे में शनि प्रदोष व्रत आषाढ़ माह का आखिरी प्रदोष व्रत हैं इस दिन भक्त भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए दिनभर का उपवास रखते हैं और प्रदोष काल में शिव पूजा करते हैं माना जाता हैं कि आज के दिन शिव पूजा अगर प्रदोष काल में की जाए तो उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं।
ऐसे में अगर आप भी शिव शंकर की कृपा पाने के लिए आज व्रत पूजन कर रहे हैं तो ऐसे में पूजन के बाद श्री महाकाल स्तोत्र का पाठ जरूर करें माना जाता हैं कि ये चमत्कारी पाठ। शिव कृपा प्रदान करता हैं और सभी प्रकार की मुसीबतों को दूर कर देता हैं।
श्री महाकाल स्तोत्र-
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते ।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोस्तुते ॥ १॥
महाकाल महादेव महाकाल महाप्रभो ।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते ॥ २॥
महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोऽपहन् ।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते ॥ ३॥
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः ।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नमः ॥ ४॥
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः ।
भीमाय च नमस्तुभ्यं ईशानाय नमो नमः ॥ ५॥
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः ॥ ६॥
सद्योजात नमस्तुभ्यं शुक्लवर्ण नमो नमः ।
अधः कालाग्निरुद्राय रुद्ररूपाय वै नमः ॥ ७॥
स्थित्युत्पत्तिलयानां च हेतुरूपाय वै नमः ।
परमेश्वररूपस्त्वं नील एवं नमोस्तुते ॥ ८॥
पवनाय नमस्तुभ्यं हुताशन नमोस्तुते ।
सोमरूप नमस्तुभ्यं सूर्यरूप नमोस्तुते ॥ ९॥
यजमान नमस्तुभ्यं आकाशाय नमो नमः ।
सर्वरूप नमस्तुभ्यं विश्वरूप नमोस्तुते ॥ १०॥
ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं विष्णुरूप नमोस्तुते ।
रुद्ररूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते ॥ ११॥
स्थावराय नमस्तुभ्यं जङ्गमाय नमो नमः ।
नमः स्थावरजङ्गमाभ्यां शाश्वताय नमो नमः ॥ १२॥
हुं हुङ्कार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः ।
अनाद्यन्त महाकाल निर्गुणाय नमो नमः ॥ १३॥
प्रसीद मे नमो नित्यं मेघवर्ण नमोस्तुते ।
प्रसीद मे महेशान दिग्वासाय नमो नमः ॥ १४॥
ॐ ह्रीं मायास्वरूपाय सच्चिदानन्दतेजसे ।
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः ॥ १५॥
फलश्रुति
इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी
कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम
॥ श्री महाकाल स्तोत्र अथवा श्री महाकालभैरव स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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