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आज है मार्गशीर्ष माह की संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्ता और पूजा विधि

Subhi
23 Nov 2021 3:30 AM GMT
आज है मार्गशीर्ष माह की संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्ता और पूजा विधि
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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत होता है। हिन्दू कैलेंडर का नया माह मार्गशीर्ष प्रारंभ होने वाला है। मार्गशीर्ष माह की संकष्टी चतुर्थी आने वाली है, जिसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत होता है। हिन्दू कैलेंडर का नया माह मार्गशीर्ष प्रारंभ होने वाला है। मार्गशीर्ष माह की संकष्टी चतुर्थी आने वाली है, जिसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। रात के समय में चंद्रमा की पूजा करते हैं। चतुर्थी की पूजा में गणेश जी को दूर्वा अर्पित करना और मोदक का भोग लगाना उत्तम होता है। आइए जानते हैं कि मार्गाशीर्ष माह की गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कब है, पूजा का मुहूर्त एवं महत्व क्या है।

मार्गशीर्ष संकष्टी चतुर्थी 2021
हिन्दी पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 22 नवंबर को रात 10 बजकर 26 मिनट से हो रहा है। चतुर्थी तिथि 23 नवंबर को देर रात 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 23 नवंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
शुभ योग में संकष्टी चतुर्थी
मार्गशीर्ष की संकष्टी चतुर्थी शुभ योग में है। शुभ योग 23 नवंबर को पूरे दिन और रात तक है। शुभ योग मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन राहुकाल दोपहर 02 बजकर 46 मिनट से शाम 04 बजकर 05 मिनट तक है।
संकष्टी चतुर्थी 2021 पूजा मुहूर्त
इस दिन अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक और विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 35 मिनट तक है। ऐसे में आप संकष्टी चतुर्थी की पूजा अभिजित मुहूर्त और विजय मुहूर्त में कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी 2021 पर चंद्रोदय
मार्गशीर्ष मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 08 बजकर 26 मिनट पर होगा। जो लोग व्रत रहेंगे, वे इस समय में चंद्रमा का दर्शन करेंगे और पूजा करेंगे। विनायक चतुर्थी के व्रत में चंद्रमा का दर्शन वर्जित होता है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि विधान से पूजा करने और व्रत रखने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं। वे कार्यों को सफल करते हैं और विघ्न को दूर करते हैं।

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