धर्म-अध्यात्म

आज है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Subhi
12 Nov 2022 3:06 AM GMT
आज है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
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हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि 12 नवंबर को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है और इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन उनका पूरे विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है. कहते हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और हर मनोकामना पूर्ण होती है. आइए जानते हैं कि आज संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.

संकष्टी चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त

इस संकष्टी चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है और इस दिन भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर से लेकर सुबह 9 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 8 मिनट तक भी पूजा के लिए उत्तम समय है.

चंद्रोदय का खास महत्व

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान ​गणेश जी का पूजन किया जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तजन व्रत-उपवास भी करते हैं. दिनभर व्रत करने के बाद रात के समय व्रत खोला जाता है. इस दिन चंद्रोदय का विशेष महत्व होता है क्योंकि रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस बार गणाधिश संकष्टी चतुर्थी के दिन रात को 8 बजकर 21 मिनट पर चंद्रोदय होगा.

संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि

अगर आप संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत कर रहे हैं तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. फिर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और पूजा शुरू करें. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन भर व्रत करती हैं और चंद्रोदय के बाद व्रत खोलती हैं. पूजा करते समय गणेश जी को लड्डुओं को भोग लगाना न भूलें. उनके समक्ष अक्षत, धूप-दीप जलाएं और फिर आरती करें. व्रत की कथा पढ़ना ना भूलें. पूजन में गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा और चंदन चढ़ाएं. इस दिन जो लोग व्रत करते हैं, वह दिन भर केवल फलाहार ग्रहण करते हैं. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर गणेश जी का भोग निकालें और व्रत खोलें.


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