धर्म-अध्यात्म

आज है राम नवमी, जानें इसके पीछे का इतिहास

Subhi
10 April 2022 10:07 AM GMT
आज है राम नवमी, जानें इसके पीछे का इतिहास
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आज पूरे देशभर में रामनवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। राम नवमी का पर्व भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को मनाया जाता है। चैत्र नवमी तिथि नवरात्रि का आखिरी दिन होता है।

आज पूरे देशभर में रामनवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। राम नवमी का पर्व भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को मनाया जाता है। चैत्र नवमी तिथि नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। इसी के साथ 9 दिनों तक चलने वाले देवी दुर्गा की आराधना का पर्व समाप्त होता है। चैत्र नवमी शुक्ल पक्ष तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म के लोग हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम के जन्मोत्सव का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान राम विष्णुजी के सातवें अवतार माने जाते हैं। राम नवमी के दिन भगवान राम,माता सीता और राम भक्त हनुमानजी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम की जो व्यक्ति सच्चे मन से उनकी पूजा-आराधना करता है उसे जीवन में मान-सम्मान और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। चैत्र नवमी तिथि पर भगवान राम का जन्म दोपहर के प्रहर में हुआ था। ज्योतिष शास्त्र में दोपहर के अभिजीत मुहूर्त को सबसे शुभ मुहूर्त माना गया है। भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न, अभिजीत मुहूर्त, सूर्य,बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह के विशेष योग में हुआ था। राम नवमी त्योहार के दिन पर ही नौ दिनों तक चलने वाले देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि खत्म हो जाता है। राम नवमी के अगले दिन नवरात्रि का पारण किया जाता है। आए जानते हैं रामनवमी पर्व पर पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि,आरती, कथा, मंत्र और महत्व....

धार्मिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान राम का जन्म विष्णु के सातवें अवतार के रूप में त्रेतायुग में अयोध्या में राजा दशरथ के घर हुआ था। भगवान राम के जन्म के समय चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, कर्क लग्न ,पुनर्वस नक्षत्र और मंगल, सूर्य,शनि और गुरु के उच्च भाव में रहते हुआ हुआ। इस वर्ष नवमी तिथि पर भगवान राम के जन्मोत्सव का पर्व बहुत ही शुभ योग में है। दरअसल रामनवमी के दिन पुष्ययोग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग के संयोग है।

नवमी तिथि चैत्र नवरात्रि की आखिरी तिथि होती है। इस बार रामनवमी के मौके पर रवि-पुष्य योग बनेगा। ज्योतिषीय गणना के आधार पर इससे पहले इस तरह का शुभ संयोग साल 2012 को बना था। जब रवि पुष्य योग पर चैत्र नवरात्रि खत्म हुए थे। राम नवमी पर यानी 10 अप्रैल,रविवार को सूर्योदय के साथ पुष्य नक्षत्र शुरू होगा, जो अगले दिन सूर्योदय तक रहेगा। ऐसे में इस दिन शुभ खरीदारी का अबूझ मुहूर्त बन रहा है। अबूझ मुहूर्त में शुभ कार्य करने और खरीदारी करने के बहुत ही अच्छा माना जाता है।

हिंदू धर्म में राम नवमी का त्योहार बहुत ही खास होता है। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन इस दिन को भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही उत्साहा और भक्तिभाव से मनाया जाता है। इस दिन पर सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर दैनिक क्रिया करते हुए स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र धारण करते हुए सबसे पहले सूर्यदेव को जल अर्पित करें। फिर इसके बाद पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करते हुए सफाई करें। इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर पूजा और व्रत का संकल्प लें और भगवान राम की पूजा आराधना के आरंभ कर दें। पूजन में माला,फूल, फल, मिठाई, रोली,चंदन धूप,दीपक,तुलसी के पत्ते से भगवान राम संग माता सीता की पूजा करें। पूजा के दौरान सभी जरूरी पूजन सामग्री को प्रयोग करने के बाद इच्छा और सामर्थ्य अनुसार रामचरितमानस, रामायण, रामरक्षास्तोत्र, बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का पाठ करें। पाठ करने के बाद भगवान राम की आरती करते हुए पूजन कार्यक्रम को समाप्त करते हुए भगवान राम,माता सीता और हनुमानजी से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्राप्त करें।

हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम का जन्म राजा दशरथ के महल में दोपहर के अभिजीत मुहूर्त के समय हुआ था।


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