धर्म-अध्यात्म

आज है पौष पूर्णिमा……पौष माह पूर्णिमा डेट, पूजा- विधि, समय

Bhumika Sahu
17 Jan 2022 2:51 AM GMT
आज है पौष पूर्णिमा……पौष माह पूर्णिमा डेट, पूजा- विधि, समय
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Paush Purnima 2022 : पौष मास (Paush Mash) की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में एक खास महत्व है. इस दिन गंगा स्नान, दान, और व्रत करने का काफी फलदायी माना जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में पूर्णिमा ( Purnima January 2022) जिसको पूरनमासी भी कहते हैं बहुत ही अधिक महत्व होता है. पौष मास (Paush Mash) की पूर्णिमा साल की पहली पूर्णिमा होती है. ऐसे में इस पूर्णिमा का खास महत्व होता है. प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में ही पौष माह की पूर्णिमा होती है. पूर्णिमा पर विशेष रूप से भगवान विष्णु की भक्त विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाते हैं. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन अगर भगवान विष्णु (Lord vishnu) और माता लक्ष्मी की पूरी श्रद्धा और भावना के साथ पूजा- अर्चना की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

ऐसे में कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन अगर गंगा स्नान किया जाए तो भी पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन की पूजा काफी महत्व होता हैं. कहते हैं कि अगर इस दिन भक्त किसी भी प्रकार की चीज का समर्थ के अनुसार दान करता है तो कई गुना फल की प्राप्ति होती है. तो आइए जानते हैं पौष माह पूर्णिमा डेट, पूजा- विधि…
पूजा का मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जनवरी 17, 2022 को सुबह 03:18 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त – जनवरी 18, 2022 को सुबह 05:17 बजे
पौष पूर्णिमा स्नान-
आपको बता दें कि धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ मास का दूसरा प्रमुख स्नान पौष पूर्णिमा यानि की आज 17 जनवरी यानी सोमवार को है. हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 16 जनवरी, रविवार की रात 2:40 बजे लगेगी जो कि 17 जनवरो को सुबह 4: 30 बजे तक रहेगी. जिस कारण से पूर्णिमा 17 तारीख को मनाई जाएगी और स्नान का भी इसी दिन शुभ योग है.
पौष माह पूजा की विधि-
माह पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहुर्त में स्नान करना चाहिए. इस दिन गंगा स्नान को खास महत्व दिया गया है. अगर आप गंगा में नहीं नहा सकते तो बाल्टी में ही गंगाजल डाल कर नहाएं और भगवान को याद करें. इसके बाद भगवान विष्णु के आगे दीप जलाकर पूजा का और व्रत का संकल्प लें और फिर प्रभु को टीका वंदना करके याद करें. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा-अर्चना करें. फिर प्रभु को सामर्थ के अनुसार भोग लगाएं, कुछ ना हो तो तुलसी को ही अर्पित कर दें.
सबसे अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें. इसके बाद समर्थ के अनुसार जरुरतमंद को दान करें. इसके बाद भगवान से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें. इस दिन चंद्रमा की पूजा का महत्व भी होता है, तो चंद्रमा की भी पूजा जरूर करें. हो सके तो इस दिन गाय को भोजन कराएं.


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