धर्म-अध्यात्म

आज है मासिक शिवरात्रि, जरूर करें इस स्तुति का पाठ

Subhi
1 Jan 2022 1:47 AM GMT
आज है मासिक शिवरात्रि, जरूर करें इस स्तुति का पाठ
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1 जनवरी यानी नव वर्ष के प्रथम दिन मासिक शिवरात्रि है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासाना करने का विधान है।

1 जनवरी यानी नव वर्ष के प्रथम दिन मासिक शिवरात्रि है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासाना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है। अत: इस दिन का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से अविवाहित जातकों की शादी शीघ्र होती है। साथ ही जातक को मनपसंद जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। वहीं, विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि देवों के देव महादेव मात्र फल, फूल, धूप-दीप, जल, अक्षत, बिल्व पत्र आदि चीजों से पूजा करने पर प्रसन्न हो जाते हैं और व्रती को मनावांछित फल देते हैं। इसके लिए 1 जनवरी को मासिक शिवरात्रि के दिन शिवजी और माता पार्वती की पजा के समय शिव स्तुति का पाठ जरूर करें। इससे घर में सुख और समृद्धि का आगमन होगा।

शिव स्तुति

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं

नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।

नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं

नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥

नमामि देवं परमव्ययंतं

उमापतिं लोकगुरुं नमामि ।

नमामि दारिद्रविदारणं तं

नमामि रोगापहरं नमामि ॥२॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं

नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् ।

नमामि विश्वस्थितिकारणं तं

नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥

नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं

नमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् ।

नमामि चिद्रूपममेयभावं

त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्या

भयंकरं वापि सदा नमामि ।

नमामि दातारमभीप्सितानां

नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥५॥

नमामि वेदत्रयलोचनं तं

नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।

नमामि पुण्यं सदसद्व्यातीतं

नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं

नमामि रूपापि बहुनि धत्ते ।

यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता

नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥

यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं

तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।

आराधितो यश्च ददाति सर्वं

नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥

नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं

उमापतिं तं विजयं नमामि ।

नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं

पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥

नमामि देवं भवदुःखशोक

विनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।

नमामि गंगाधरमीशमीड्यं

उमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादि

सुरासुरैरर्चितपादपद्मम् ।

नमामि देवीमुखवादनानां

ईक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥११॥

पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैः

विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः ।

अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः

सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥१२॥


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