धर्म-अध्यात्म

आज है पोंगल का तीसरा दिन मट्टू, जानिए इसकी इतिहास

Triveni
16 Jan 2021 4:00 AM GMT
आज है पोंगल का तीसरा दिन मट्टू, जानिए इसकी इतिहास
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पोंगल का त्यौहार चार दिन तक चलता है। यह त्यौहार भारत के तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेसक | पोंगल का त्यौहार चार दिन तक चलता है। यह त्यौहार भारत के तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्यौहार किसानों का प्रमुख त्यौहार कहलाता है। धान की फसल कटने की खुशी में किसान यह त्यौहार बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार सूर्य और इंद्रदेव को समर्पित होता है। मान्यता है कि इनकी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करने से किसानों पर कृपा बनी रहती है। किसान अच्छी बारिश और बेहतर फसल की प्रार्थना करते हैं। आज पोंगल का तीसरा दिन है। आज का दिन मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं क्या है मट्टू पोंगल।

क्या है मट्टू पोंगल:
मट्टू बैल को कहा जाता है। इसका संबंध शिव जी के वाहन नंदी से है। इस दिन बैल की पूजा की जाती है। वास्तव में इस दिन पशु धन को पूजा जाता है। किसान के जीवन में बैल बेहद ही महत्वपूर्ण अंग है। ऐसे में बैल की पूजा इस दिन किसानों द्वारा की जाती है। इस दिन विशेषकर चावल की उत्तम फसल की कामना की जाती है।
मट्टू पोंगल की कथा:
प्राचीन काल में एक बार ऐसा हुआ था कि नंदी से कोई भूल हो गई थी और भोलेनाथ उनसे रुष्ट हो गए थे। शिव जी ने नंदी को दंडित करने का निश्चय किया। शिव जी ने नंदी से कहा कि वो धरती पर जाएं और मनुष्यों की मदद करे। इसी की याद में आज के दिन मट्टु पोंगल का पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तभी से नंदी पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य में मनुष्य की अन्न उपजाने में मदद कर रहा है।
जानें कैसे मनाते हैं मट्टू पोंगल:
मट्टू पोंगल के दिन बैलों को स्नान करया जाता है और उन्हें सजाया जाता है। बैल की सींगों में तेल लगाते हैं और उन्हें नई घंटियां बांधकर सुंदर वस्त्र पहनाते हैं। इस दिन मुख्यत: पशुओं को साफ कर उनकी पूजा की जाती है। बैल के साथ-साथ गाय और बछड़े की भी पूजा की जाती है। लोग अपने घरों के दरवाजे पर रंगोली भी सजाते हैं। साथ ही बैलों को चावल, गन्ने, हल्दी और अदरक जैसी चीजें खाने के लिए दी जाती हैं।
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