धर्म-अध्यात्म

आज है मत्सय जयंती, जानें इसके पौराणिक कथा के बारें में

Ritisha Jaiswal
15 April 2021 8:25 AM GMT
आज है मत्सय जयंती, जानें इसके पौराणिक कथा के बारें में
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हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्सय जयंती मनाई जाती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्सय जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर मछली के रूप में अवतार लिया था. मत्सय पुराण के अनुसार, पुष्पभद्रा नदी के किनारे पर भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्सय का अवतारा लिया था. इस दिन को मत्सय जयंती के रूप में पूजा जाता है. इस दिन को भगवान विष्णु के भक्त धूमधाम से मनाते हैं. इसके अलावा विष्णु मंदिर में इस दिन को भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है. मत्सय रूप भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतार में से एक है.

मत्सय जयंती शुभ मुहूर्त
मत्सय जयंती तिथि- 15 अप्रैल 2021
मत्सय जयंती पर क्या करना चाहिए
आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन मत्सय पुराण सुनने और पढ़ने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. मत्सय जयंती के दिन मछलियों को आटे की गोली खिलाने से पुण्य मिलाता है. इस दिन मछलियों को नदियों और समुद्र में छोड़ने से भगवान विष्णु की आप पर कृपा बरसती है.
कथा
पौराणिक कथा के अनुसार द्रविड़ देश के राजर्षि सत्यव्रत कृतमाला नदी में स्नान कर रहे थे. उन्होंने हाथों में जल लिया तो उनके हाथों में छोटी मछली आ गई. राजा ने मछली को नदी में छोड़ दिया. तब मछली ने कहा राजन नदीं में बड़े- बड़े जीव छोटे जीवों को खा जाते हैं. आप मेरी प्राणों की रक्षा करें. ये बात सुनकर राजा ने मछली को अपने कमंडल में डाल दिया. लेकिन एक ही रात में मछली इतनी बड़ी हो गई कि कमंडल छोटा पड़ने लगा.

राजा ने मछली को मटके में डाल दिया ताकि वो सुरक्षित रहें. फिर एक रात में मछली इतनी बड़ी हो गई कि मटका छोटा पड़ने लगें. राजा आश्चर्यचकित हो गए और मछली को सरोवर में डाल दिया. एक रात में मछली का शरीर इतना बड़ गया कि सरोवर भी छोटा पड़ने लगा. यह देख राजा समझ गए कि ये कोई साधारण मछली नहीं है.
भगवान विष्णु ने क्यों लिया मत्सय अवतार
राजा ने कहा कि मैं समझ गया हूं कि निश्चय ही आप कोई महान आत्मा है. अगर ये सत्य है तो आपने मत्सय का रूप क्यों धारण किया है. तब भगवान विष्णु राजा के समक्ष प्रकट हुए और कहा कि राजन हयग्रीव नामके दैत्य ने वेदों की किताब चुरा ली है. जिसकी वजह से संसार में चारों ओर अज्ञान और अधर्म फैला है. मैंने उसका अंत करने के लिए मत्सय रूप धारण किया है. आज से सात दिन बाद धरती जल प्रलय में डूब जाएगी. तुम तब तक एक नौव बनालों. इस नौके में सूश्रम जीवों से लेकर सप्तर्षियों को लेकर चढ़ जाना.

जब तुम्हारी नौका हिलने लगेगी तब मैं तुम सबको बचाऊंगा. तुम नौका को मेरे सिंह से बांध देना और प्रलय के अंत तक तुम्हारी नौका को खींचता रहूंगा. भगवान विष्णु ने नौका को हिमालय की चोटी से बांध दिया था. उस चोटी को नौकाबंध कहा जाता है. प्रलय समाप्त होने पर भगवान विष्णु ने हयग्रीव का वध किया और ब्रह्माजी को वेदों की किताब सौंप दी. राजर्षि सत्यव्रत को वेदों का ज्ञान दिया और उस नौका में जो जीव बच गए. उनसे ही संसार को पुन चलाया गया.


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