धर्म-अध्यात्म

आज हैं कूर्म द्वादशी, जानिए इस दिन घर में कछुआ लाना क्यों माना जाता है शुभ

Triveni
25 Jan 2021 4:27 AM GMT
आज हैं कूर्म द्वादशी, जानिए इस दिन घर में कछुआ लाना क्यों माना जाता है शुभ
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पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है. कूर्म द्वादशी भगवान् विष्णु के ‘कूर्म’ अथवा ‘कच्छप’ अवतार को समर्पित है.

जनता से रिश्ता वेबडेसक | पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी (Kurma Dwadashi ) के नाम से जाना जाता है. कूर्म द्वादशी भगवान् विष्णु के 'कूर्म' अथवा 'कच्छप' अवतार को समर्पित है. ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन श्रद्धा के साथ विधि-विधान से व्रत करने वाले मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. कूर्म द्वादशी के दिन दान-धर्म और श्राद्ध कार्यों से पापों का नाश होता है. इस बार कूर्म द्वादशी 25 जनवरी यानी आज मनाई जाएगी.

कूर्म अवतार की कथा (Kurma Dwadashi Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, देवराज इंद्र ने एक बार अपनी शक्ति और ऐश्वर्य के अहंकारवश ऋषि दुर्वासा द्वारा दी गई बहुमूल्य माला का निरादर कर दिया. इस बात से कुपित हो ऋषि दुर्वासा ने उन्हें शाप दे दिया, जिसके कारण देवताओं ने अपना बल, तेज, और ऐश्वर्य सब कुछ खो दिया और अत्यंत निर्बल हो गए. ऐसे में असुरों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और उन्हें हराकर दैत्यराज बलि ने स्वर्ग पर कब्‍जा जमा लिया. तीनों लोकों में राजा बलि का राज स्थापित हो गया. इसके बाद सभी देवता भगवान् विष्णु के पास जाते हैं और उनसे मदद मांगते हैं. इसके बाद भगवान् विष्णु ने उन्हें समुद्र-मंथन कर अमृत प्राप्त करने और उसका पान कर पुनः अपनी खोई शक्तियाँ अर्जित करने का सुझाव दिया. किन्तु, यह कार्य इतना सरल नहीं था. देवता अत्यंत निर्बल हो चुके थे, अतः समुद्र-मंथन करना उनके सामर्थ्य की बात नहीं थी. इस समस्या का समाधान भी भगवान् विष्णु ने ही बताया. उन्होंने देवताओं से कहा कि वे जाकर असुरों को अमृत एवं उससे प्राप्त होने वाले अमरत्व के विषय में बताएं और उन्हें समुद्र-मंथन करने के लिए मना लें. इसक बाद दोनों पक्ष मिलकर समुद्र मंथन करें और उससे प्राप्त होने वाली मूल्यवान निधियों को आपस में बांट लें.
कूर्म द्वादशी का महत्‍व (Kurma Dwadashi Importance)
ऐसा माना जाता है कि कूर्म द्वादशी का व्रत पूरी निष्ठा और सच्चे मन से करने वाले मनुष्य के सभी पाप दूर हो जाते हैं और उसे समस्त अपराधों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है. साथ ही कूर्म द्वादशी के व्रत से अर्जित होने वाले पुण्य के फलस्वरूप मनुष्य संसार के समस्त सुख भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त करता है.
कूर्म द्वादशी पर घर में कछुआ लाने का फायदा
कूर्म द्वादशी के दिन घर में कछुआ लाने का बड़ा महत्व बताया जाता है. ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी की कृपा सदा बनी रहती है. घर में कछुआ रखने से आर्थिक संकट टलता है. घर के अलावा नई दुकान आदि में भी आप चांदी का छोटा सा कछुआ रख सकते हैं.
कूर्म द्वादशी व्रत व पूजन विधि (Kurma Dwadashi Pujan Vidhi)
कूर्म द्वादशी व्रत के नियमों का प्रारम्भ दशमी तिथि से ही हो जाता है. सर्वप्रथम व्रतधारी को दशमी के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और उसके पश्चात् पूरे दिन सात्विक आचरण का पालन करना चाहिए. उसके उपरान्त एकादशी को प्रातः स्नान-ध्यान कर पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण किये बिना ही व्रत रखना चाहिए. यदि ऐसा करना संभव न हो, तो इस व्रत में जल और फल ग्रहण कर सकते हैं. अगले दिन अर्थात् कूर्म द्वादशी के दिन भगवान् कूर्म का पूजन करने के पश्चात् प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें. इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अनुष्ठान और अभिषेक आदि का आयोजन किया जाता है. भक्तजन मंदिर जाकर भगवान् विष्णु और उनके कूर्म अवतार के दर्शन करते हैं और श्लोकों एवं मन्त्रों का जाप करते हुए भगवान् कूर्म की आराधना करते हैं.


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