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हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है और कई जगह इसे कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. काल भैरव भगवान शिव का ही एक रौद्र अवतार हैं और इनका पूजन करने से मनुष्य को कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. इसे कालाष्टमी भी कहा जाता है और इसलिए इस दिन मां दुर्गा का पूजन होता है. पंचांग के अनुसार आज यान 16 नवंबर को मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है और इस दिन काल भैरव जयंती या कालाष्टमी का पूजन किया जाता है. आइए जानते हैं कि पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि.
काल भैरव जयंती 2022 शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी पूजा या अनुष्ठान यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए तो वह अधिक फलदायी होता है. आज यानि काल भैरव जयंती के दिन ब्रह्म योग और अमृत काल में बेहद शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन शाम को 5 बजकर 12 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 59 मिनट तक अमृत काल रहेगा और यह पूजा के लिए बेहद ही शुभ है.
काल भैरव पूजन विधि
काल भैरव जयंती के दिन बाबा भैरव नाथ के साथ ही मां दुर्गा का भी पूजन किया जाता है. यह पूजा अष्टमी तिथि से एक दिन पहले सप्तमी तिथि के दिन शुरू होती है. सप्तमी तिथि के दिन अर्ध रात्रि के बाद कालरात्रि देवी का पूजन किया जाता है. फिर काल भैरव जयंती के दिन काल भैरव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव के रुद्र अवतारों में से एक अवतार माना गया है.
कालाष्टमी तिथि काल भैरव के साथ भगवान शिव का पूजन करना भी बेहद शुभ और फलदायी माना गया है. इस दिन रात्रि के समय जागरण किया जाता है और भगवान की अराधना होती है. जो लोग कालाष्टमी के दिन व्रत करते हैं वह दिनभर फलाहार का सेवन करते हैं और अगले दिन व्रत का पारण करते हैं. कहते हैं कि कालाष्टमी का व्रत करने से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.