धर्म-अध्यात्म

आज है काल भैरव जयंती,जानें काल भैरव की पूजा कैसे और क्यों करनी चाहिए

Kajal Dubey
27 Nov 2021 2:10 AM GMT
आज है काल भैरव जयंती,जानें काल भैरव की पूजा कैसे और क्यों करनी चाहिए
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कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. 27 नवंबर यानी आज काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) है. मान्यता के अनुसार कालभैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार हैं. कहा जाता है कि इस पावन दिन पर विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करनी चाहिए, इससे वह प्रसन्न होते हैं. भैरवजी (Bhairav ji) अगर अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाएं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है लेकिन अगर वह किसी पर नाराज हो जाएं तो उसका अनिष्ट भी हो सकता है.

भैरवजी का स्वरुप भयानक माना जाता है लेकिन अपने भक्तों की वे सदैव रक्षा करते हैं. यह भी धार्मिक मान्यता है कि कालभैरव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों, ऊपरी बाधा और भूत-प्रेत जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं. साथ ही भय से मुक्ति मिलती है और शत्रु व ग्रह बाधा से भी राहत मिलती है. आइए, जानते हैं कि काल भैरव की पूजा (Kaal Bhairav Puja) कैसे करनी चाहिए
काल भैरव पूजा विधि
– इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान कर साफ वस्त्रों को धारण करना चाहिए.
– इसके बाद भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
– उन्हें काले तिल, उड़द अर्पित करना चाहिए.
– मंत्रों का जाप करते हुए विधिवत पूजा करना चाहिए.
– बिल्वपत्रों पर सफेद या लाल चंदन से 'ॐ नमः शिवाय' लिखकर शिव लिंग पर चढ़ाना चाहिए.
– मान्यता के अनुसार भैरव जी का वाहन कुकुर यानी कुत्ते को माना गया है इसलिए काल भैरव जयंती पर काले कुत्ते को मीठी रोटी या गुड़ के पुए खिलाना चाहिए.
– इस दिन किसी भी कालभैरव मंदिर में जाकर गुलाब, गूगल की खुशबूदार अगरबत्ती और चंदन चढ़ाना चाहिए. नींबू की माला भी भैरवजी को चढ़ाना चाहिए.
– कालभैरवाष्टक का पाठ करने से ऊपरी बाधाएं, भूत-प्रेत की परेशानी दूर होती है.
– इस दिन गरीबों को दान देना काफी शुभ माना जाता है.
काल भैरव मंत्रों का करें जाप
'ॐ कालभैरवाय नम:'
ओम भयहरणं च भैरव:। ओम कालभैरवाय नम:। ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
भैरव जी की आरती (Kaal Bhairav Aarti)
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
भैरव जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहत धरणीधर नर मनवांछित फल पावें


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