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हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन जितिया व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो माताएं अपनी संतान की अच्छी सेहत, लंबी आयु और खुशहाली की कामना से करती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजन करने से संतान को लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है और उसके जीवन में आने वाली दिक्कतें भी दूर हो जाती है इस साल जितिया व्रत 6 अक्टूबर दिन शुक्रवार यानी आज मनाया जा रहा है ये पर्व खास कर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि को नहाय खाय के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं संतान की सफलता, समृद्धि और सलामती के लिए दिनभर का निर्जला उपवास रखती है और पूजा पाठ करती है तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख में जितिया व्रत पूजन की संपूर्ण विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जितिया व्रत पूजन की संपूर्ण विधि—
अगर आप जितिया व्रत व्रत कर रहीं है तो ऐसे में महिलाएं पहले दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प करें। इस दिन नहाए खास की परंपरा निभाई जाती है। व्रती अगले दिन निर्जला उपवास करें। इस दिन प्रदोष काल में कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर एक जलपात्र में स्थापित करें। अब जीमूतवाहन भगवान को धूप, दीपक, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों तेल, खली, अक्षत, पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा सुपारी अर्पित करें।
इसके बाद गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर मिट्टी और गोबर से चील सियारिन की प्रतिमा बनाएं। इन्हें लाल सिंदूर का टीका लगाएं। फिर जितिया व्रत पूजन की कथा पढ़ें और अंत में आरती करें इस व्रत में तीसरे दिन सूर्य को जल देकर व्रत का पारण कर झोर भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है। मान्यता है कि इस विधि से जितिया व्रत पूजन करने से जीवन में सुख सफलता आती है और संतान के कष्ट दूर हो जाते हैं।
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