धर्म-अध्यात्म

आज है कर्क संक्रांति, जानिए इस दिन क्यों नहीं शुरू करना चाहिए कोई नया काम

Triveni
16 July 2021 3:57 AM GMT
आज है कर्क संक्रांति, जानिए इस दिन क्यों नहीं शुरू करना चाहिए कोई नया काम
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जब सूर्य देव का मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करता है तो वह सूर्य की कर्क संक्रांति कहलाई जाती है.

जब सूर्य देव का मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करता है तो वह सूर्य की कर्क संक्रांति कहलाई जाती है. आज कर्क संक्रांति है. कर्क संक्रांति से ही सूर्य दक्षिणायन होते हैं. मकर संक्रांति के समय सूर्य उत्तरायण होते हैं. यह दिन अक्सर देवशयनी एकादशी के साथ भी आता है. ऐसा कहा जाता है कि हिंदू देवता, विशेष रूप से भगवान विष्णु, चार महीने के लिए सो जाते हैं.

आपको बता दें, संक्रांति 6 महीने तक रहती है. इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं और आशीर्वाद लेने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करते हैं.आइए जानते हैं तारीख, समय, पूजा-विधि और कर्क संक्रांति के महत्व के बारे में.
ये है शुभ मूहुर्त
कर्क संक्रांति का पुण्य काल 16 जुलाई को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से शाम को 5 बजकर 9 मिनट तक है. यह कुल अवधि 11 घंटे 35 मिनट की है. बता दें, कर्क संक्रांति महा पुण्य काल दोपहर 02:51 बजे से शाम 05:09 बजे के बीच पड़ेगा.
ये है पूजा विधि
लोग अपने दिन की शुरुआत पवित्र स्नान और भगवान सूर्य की पूजा करके करते हैं और सूर्य मंत्र का जाप करते हैं. इसके बाद, शांति और सौभाग्य की तलाश के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. दान और अनाज, कपड़े और तेल का दान करने के लिए दिन बहुत शुभ माना जाता है. ऐसी गतिविधियों को करने के लिए सबसे शुभ समय सीमा को कर्क संक्रांति पुण्य काल या कर्क संक्रांति महापुण्य काल के रूप में जाना जाता है. इस दिन कुछ भी नया काम शुरू करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह दिन शुभ नहीं है.
कर्क संक्रांति मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन उत्तरायण समाप्त होता है और दक्षिणायन शुरू होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से भक्तों को जीवन के सभी बुरे पहलुओं से मुक्ति मिलती है.
कर्क संक्रांति उन लोगों के लिए सबसे अनुकूल समय है जो दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करने के लिए अपने पूर्वजों के लिए पितृ तर्पण करना चाहते हैं.


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