धर्म-अध्यात्म

आज है भीष्म अष्टमी दिन बेहद भाग्यशाली शुभ माना है जानें महत्व

Teja
8 Feb 2022 5:59 AM GMT
आज है भीष्म अष्टमी दिन बेहद भाग्यशाली शुभ माना है  जानें महत्व
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महाभारत को लेकर हमेशा बातें की जाती हैं. महाभारत हम सभी को कई तरह की सीख देता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | महाभारत को लेकर हमेशा बातें की जाती हैं. महाभारत हम सभी को कई तरह की सीख देता है. अर्जुन का भगवान श्रीकृष्ण ने साक्षात महाभारत की रणभूमि में दर्शन देकर गीता का सार दिया था, जिसको हर किसी को अपने जीवन में उतारना चाहिए. महाभारत के महाप्रतापी योद्धा भीष्‍म पितामह (Bhishma Pitamah) को इच्‍छामृत्‍यु का वरदान प्राप्‍त था. वह जब तक नहीं चाहते उनकी मृत्यु नहीं हो सकती थी, लेकिन महाभारत युद्ध (mahabharat war) में जब पाण्‍डव अर्जुन ने भीष्म पितामह को अपने बाणों की शैया पर सुला दिया था तो भीष्‍म पितामह ने सूर्य के उत्‍तरायण होने का इंतजार प्राण त्यागने के लिए किया था और माघ महीने की अष्‍टमी तिथि को ही उन्होंने अपने प्राण त्‍यागे थे. इसलिए माघ मास की अष्टमी को भीष्‍म अष्‍टमी (Bhishma Ashtami) कहा गया. इस साल आज यानी कि 8 फरवरी 2022 को भीष्‍म अष्‍टमी है. माना जाता है कि इस दिन व्रत और अनुष्ठान करने से माता-पिता को संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है.

जानें भीष्म अष्टमी 2022 पूजा का मुहूर्त
भीष्‍म अष्टमी तिथि का आरंभ 8 फरवरी को सुबह 06:15 बजे से होगा और फिर यह 9 फरवरी की सुबह 08:30 बजे तक रहेगी. इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त 8 फरवरी को सुबह 11:29 बजे से दोपहर 01:42 बजे तक रहने वाला है.
पितामह ने दी थी ये शिक्षा
जब भीष्म पितामह अर्जुन के बाणों की शैया पर लेटे हुए थे तो उन्होंने अपनी जिंदगी के अंतिम क्षणों में भगवान श्रीकृष्‍ण ने पाण्‍डव युधिष्ठिर को पितामह से धर्म की शिक्षा लेने को कहा था.. तब युधिष्ठिर भीष्‍म पितामह के पास गए और उस समय पितामह ने उन्‍हें जो मूल मंत्र दिए उसमें से कुछ आज भी प्रासंगिक हैं.
1- अपने जीवन में हम कितनी भी ऊंचाइयों पर पहुंच जाएं, लेकिन आपके मन में अहंकार की भावना नहीं आनी चाहिए और कभी ऐसा हो तो बीते हुए दिनों को याद करना चाहिए.
2-जीवन में कोई भी जरूरत मंद हो उसको आश्रय जरूर देना चाहिए. ना ही कभी किसी की निंदा करें और ना ही सुनें.
3-शास्त्रों को सदैव नियम पूर्वक सुने और पढ़े. हमेशा दूसरों को आदर दें चाहें सामने वाला आपको ना दें.
4-जो व्यर्थ में ही अपने आप को दुखी करता है वह अपना सब कुछ नष्ट कर लेता है। इसलिए दुख को अपने भीतर प्रवेश न करने दें
5-जो भी मनुष्य दूसरों के सुख और धन को देखकर जलन की भावना नहीं रखते हैं,और जो हमेशा विद्वानों का आदर करते हैं,आलस्य नहीं करते हैं अपना सारा काम समय पर करते हैं, ऐसे मनुष्यों को सदैव ही सुख ही प्राप्त होता है.


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