धर्म-अध्यात्म

आज है बलराम जंयती, जानिए उनके जन्म की पौराणिक कथा

Renuka Sahu
28 Aug 2021 5:48 AM GMT
आज है बलराम जंयती, जानिए उनके जन्म की पौराणिक कथा
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फाइल फोटो 

हिंदू धर्म में भाद्रपद का महीना पर्व व त्योहार के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में भाद्रपद का महीना पर्व व त्योहार के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. भादो मास के षष्ठी तिथि को बलराम जी और अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. बलराम जयंती के दिन अर्थात षष्ठी तिथि को महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं और उनकी पूजा करती हैं.

बलराम जयंती शुभ मुहूर्त
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि प्रारम्भ : 27 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 48 मिनट से
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त : 28 अगस्त 2021 दिन शनिवार को शाम 08 बजकर 56 मिनट पर ख़त्म.
पौराणिक कथा
भागवत पुराण के अनुसार बलराम या संकर्षण को भगवान विष्णु का शेषावतार माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के अंश माने जाने वाले शेषनाग भगवान विष्णु के हर अवतार में वे उनके साथ धरती पर अवश्य आते हैं. भगवान विष्णु अपने 8वें अवतार में भगवान श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था. इसी समय में शेषनाग ने श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतार लिया था.
पौराणिक कथा के अनुसार, कंस जब अपनी बहन देवकी को पति वासुदेव के साथ विदा कर रहा था. तो उस समय आकाशवाणी हुई कि हे कंस तुम, देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के द्वारा मरे जाओगे.
इस लिए कंस ने बहन देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया. कंस ने देवकी की 6 संतानों को एक-एक कर के मार दिया. सातवीं संतान के रूप में शेषनाग ने बलराम के रूप में गर्भ में स्थापित हुए. परंतु भगवान श्री हरि की योग माया से इन्हें रोहिणी की गर्भ में स्थानांतरित कर दिया. इस प्रकार उनका जन्म भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में नंद बाबा के यहां हुआ. बलराम मल्लयुद्ध, कुश्ती और गदायुद्ध में पारंगत थे. बलराम हल धारण करते थे. इसलिए उन्हे हलधर भी कहा जाता है.


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