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आज आशा दशमी व्रत (Asha Dashami Vrat) है. हर साल इस व्रत को किसी महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से शुरू किया जाता है. इस व्रत को अच्छे वर और संतान की अच्छी सेहत के लिए रखा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी सभी मनोकामनाए पूरी होती है. धार्मिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत का महत्व बताया था. इस व्रक को आरोग्य व्रत भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति निरोगी रहता है. इस व्रत को करने से मन शुद्ध रहता और किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होती है. कहते हैं अगर कोई कुंवारी लड़की इस व्रत को रखती हैं तो उसे अच्छे वर मिलता है. माता अपने बच्चों की अच्छी सेहत के लिए इस व्रत को रखती हैं.
आशा दशमी पूजा विधि
आशी दशमी का व्रत 6 महीने, 1 साल , 2 साल या फिर मनोकामना पूरी होने तक करना चाहिए. आशा दशमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद देवाताओं की पूजा करें. इसके बाद रात्रि में 10 आशा देवियों की पूजा करें. इस दिन खासतौर पर माता पार्वती की पूजा की जाती है. घर के आंगन में दस दिशाओं में देवियों की चित्र की पूजा करनी चाहिए. दस दिशाओं मे घी का दीपक जलाकर धूप, दीप और नैवेध समर्पित करना चाहिए.
इस दिन देवियों को प्रसन्न करने के लिए 'आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा: भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति' मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस मंत्र का अर्थ है कि मेरी सभी आशाएं आपसे हैं, सभी उम्मीदे सफल हों. मेरी मनोकामनाएं पूर्ण हों. इसके बाद विधि- विधाने से पूजा करने कर ब्राहमणों का दान- दक्षिणा दें और फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें.
पौराणिक कथा के अनुसार, इस व्रत को महाभारत काल से किया जा रहा है. इस व्रत के प्रभाव से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस व्रत में विशेष रूप से माता पार्वती की पूजा होती है. इस व्रत को अच्छी सेहत, संतान प्राप्ति और अच्छ वर के लिए रखा जाता है.