धर्म-अध्यात्म

आज एकदंत संकष्टी चतुर्थी, जानें तिथि, मुहूर्त, मंत्र, व्रत और पूजा विधि

Renuka Sahu
19 May 2022 1:34 AM GMT
Today Ekdant Sankashti Chaturthi, Know Date, Muhurta, Mantra, Fasting and Worship Method
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फाइल फोटो 

आज एकदंत संकष्टी चतुर्थी है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत रखते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज एकदंत संकष्टी चतुर्थी है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi) व्रत रखते हैं. आज गणेश जी की पूजा अर्चना करने और चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करने से सभी दुख, कष्ट और पाप मिटते हैं. गणपति की कृपा से सभी संकट भी दूर हो जाते हैं. किसी भी माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी की तिथि, मुहूर्त, मंत्र, व्रत और पूजा विधि के बारे में.

एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2022 मुहूर्त
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 18 मई, दिन बुधवार, रात 11:36 बजे से
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी तिथि समापन: 19 मई, दिन गुरुवार, रात 08:23 मिनट पर
गणेश पूजा का समय: 19 मई को प्रात:काल से ही
साध्य योग: सुबह से लेकर दोपहर 02:58 बजे तक
शुभ योग: दोपहर 02:58 बजे के बाद
दिन का शुभ समय: 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12:45 बजे तक
चंद्रोदय समय: रात 10 बजकर 56 मिनट पर
यह भी पढ़ें: कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी? नोट करें पूजा मुहूर्त एवं चंद्रोदय समय
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा मंत्र
ओम नमो गणेशाय नम:
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा विधि
1. व्रत वाले दिन सुबह स्नान के बाद लाल वस्त्र पहनें. उसके बाद गंगाजल से पूजा स्थल को साफ करके पवित्र कर लें.
2. अब एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछा दें. उस पर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें. हाथ में जल, फूल एवं अक्षत् लेकर व्रत एवं पूजा का संकल्प करें.
3. अब शुभ मुहूर्त में गणेश जी को अक्षत्, फूल, फल, मिठाई, चंदन, कुमकुम, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची आदि चढ़ाएं. अब दूर्वा उनके मस्तक पर चढ़ा दें.
4. यदि मोदक है तो ठीक है, नहीं तो बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. तुलसी का पत्ता न चढ़ाएं. चाहें तो शमी का पत्ता चढ़ा सकते हैं.
5. अब गणेश चालीसा, चतुर्थी व्रत कथा आदि का पाठ करें. उसके बाद घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें.
6. रात के समय में चंद्रमा की पूजा करें. जल में दूध, फूल, शक्कर, चंदन आदि मिलाकर चंद्रमा को अर्पित करें.
7. चंद्रमा की पूजा के बाद मिठा भोजन करके व्रत का पारण करें. पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को दान दें.
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