धर्म-अध्यात्म

आज दुर्गा अष्टमी पर करें कन्या पूजन, जानें सही विधि और पूजा मुहूर्त

Subhi
13 Oct 2021 3:54 AM GMT
आज दुर्गा अष्टमी पर करें कन्या पूजन, जानें सही विधि और पूजा मुहूर्त
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आज शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। आज दुर्गा अष्टमी या महाष्टमी है। आज के दिन मां महागौरी की पूजा होती है।

आज शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। आज दुर्गा अष्टमी या महाष्टमी है। आज के दिन मां महागौरी की पूजा होती है। नवरात्रि के समय में आप पहले दिन से लेकर दुर्गा अष्टमी और महानवमी तक प्रत्येक दिन कन्या पूजन कर सकते हैं। 02 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसलिए विशेषकर नवरात्रि में कन्या पूजन या कंजक पूजन का विधान है। आज दुर्गा अष्टमी है, आज आप अपने घर पर कन्या पूजन करने वाले हैं तो हम आपको कन्या पूजन की सही विधि, मुहूर्त एवं महत्व बता रहे हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

कन्या पूजन 2021 मुहूर्त
आज दुर्गा अष्टमी रात 08:07 बजे तक है। ऐसे में आप सुबह में मां महागौरी की पूजा करने के बाद कन्या पूजन कर सकते हैं। आज पूरे दिन सुकर्मा योग है। यह मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है। आज राहुकाल दोपहर 12:07 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है। कन्या पूजन में राहुकाल का ध्यान रखें। वैसे तो मां दुर्गा से स्वयं काल भी भयभीत होते हैं, तो राहु की क्या बिसात है।
कन्या पूजन का नियम
1. कन्या पूजा में 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए। 2. कन्या पूजा में 9 कन्याओं को भोज कराएं और दक्षिणा देकर आशीष लें।
3. कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोज के लिए बैठाना चाहिए। बालक को बटुक भैरव का स्वरुप माना जाता है।
4. आप अपने सामर्थ्य के अनुसार भी कन्याओं की संख्या पूजा के लिए निर्धारित कर सकते हैं। 9 कन्याओं की पूजा की बाध्यता नहीं है।
कन्या पूजन: हर उम्र की कन्या है मां दुर्गा का एक स्वरुप
10 वर्ष की कन्या सुभद्रा
9 वर्ष की कन्या दुर्गा
8 वर्ष की कन्या शाम्भवी
7 वर्ष की कन्या चंडिका
6 वर्ष की कन्या कालिका
5 वर्ष की कन्या रोहिणी
4 वर्ष की कन्या कल्याणी
3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति
2 वर्ष की कन्या कुंआरी
इन उम्र वर्ग की सभी कन्याएं मां दुर्गा का ही रूप हैं।
नवरात्रि 2021: कन्या पूजन विधि
दुर्गा अष्टमी या महानवमी के दिन आप मां दुर्गा की पूजा करने के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार 02 से 10 वर्ष की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें। उनके आगमन पर शंखनाद और घंटी बजाएं। सहर्ष उनको बैठने के लिए आसन दें। फिर क्रमश: उनके पांव पखारें, फूल, अक्षत्, माला आदि से उन्हें सुशोभित करें। इसके बाद उनकी आरती करें।
अब दुर्गा अष्टमी पर जो भी पकवान बना हो, उसे भोजन स्वरुप उनको दें। विशेषकर पूरी, चना और हलवा कन्या पूजन में उपयोग किया जाता है। भोजन के बाद कन्याओं को उपहार और दक्षिणा दें। उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। नवरात्रि पूजन में भूलवश जो भी गलतियां हुई हों, उसके लिए मातारानी से क्षमा याचना करें। उनको फिर अगले वर्ष घर आने का निमंत्रण दें। अब कन्याओं को पूजन के बाद सहर्ष विदा करें।


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