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आज योगिनी एकादशी की व्रत कथा सुनने से मिलाता है व्रत का संपूर्ण फल
योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु का संकल्प लेकर रखा जाता है। इस व्रत का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योकि इसके बाद देवशयनी एकादशी का व्रत पड़ता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। जिसे चौमासा या चतुर्मास कहा जाता है, इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस वर्ष योगिनि एकादशी का व्रत 05 जुलाई, दिन सोमवार को रखा जाएगा तथा पारण 06 जुलाई को होगा। मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्तिभाव से श्री हरि विष्णु का पूजन करते हैं और व्रत कथा का पाठ करते हैं उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते है तथा वो श्री हरि की शरण को प्राप्त करता है।
योगिनी एकादशी की व्रत कथा
योगिनी एकादशी व्रत कथा का वर्णन स्वयं श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर के कहने पर किया था। श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि हे राजन्! सुनों मैं तुमसे पुराणों में वर्णित योगिनी एकादशी की कथा कहता हूं...
एक बार की बात है जब स्वर्ग लोक में कुबेर नाम का एक राजा रहता था, वो शिव भक्त था। प्रतिदिन नियमित रूप से शिव आराधना करता था। उसका हेम नाम का एक माली था, जो हर दिन पूजा के लिए फूल लाता था। माली की विशालाक्षी नाम की बहुत सुंदर पत्नी थी, जिसके सौंदर्य पर माली आसक्त रहता था। एक दिन प्रातः काल हेम माली मानसरोवर से फूल तो तोड़ लाया परंतु घर पर अपनी रूपवती स्त्री से कामासक्त होकर दोपहर तक राजा के यहां नहीं पहुंचा। राजा कुबेर को पूजा के लिए विलंब हो गया। विलंब का कारण जान कर कुबेर बहुता क्रोधित हुआ और उसने माली को श्राप दे दिया। कुबेर ने कहा कि तुमने ईश्वर भक्ति से ज्यादा कामासक्ति को प्रथमिकता दी है, तुम्हार स्वर्ग से पतन होगा और तुम धरती पर स्त्री वियोग और कुष्ठ रोग का कष्ट भोगोगे।
कुबेर के श्राप के फलित होते ही माली हेम धरती पर आ गिरा, उसे कुष्ठ रोग होगया और उसकी स्त्री भी चली गयी। हेम वर्षों तक पृथ्वी पर अनेकों कष्ट सहता रहा। एक दिन उसे मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। उसने अपनी सारी व्यथा उन्हें सुनाई और अपने प्रायश्चित का मार्ग पूछा। मार्कण्डेय ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी के व्रत के महात्म के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु को समर्पित ये योगिनी एकादशी का व्रत तुम्हारे समस्त पापों को समाप्त कर देगा और तुम पुनः भगवत् कृपा से स्वर्ग लोक को प्राप्त करोगे। हेम, माली ने पूरी श्रद्धा के साथ योगिनी एकादशी का व्रत रखा। भगवान विष्णु ने उसके समस्त पापों को क्षमा करके उसे पुनः स्वर्ग लोक में स्थान प्रदान किया।