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जीवन में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए करें गीता के इन उपदेशों का पालन
हजारों वर्ष पहले महाभारत की युद्ध-भूमि पर श्री कृष्ण ने धनुर्धर अर्जुन को जिन उपदेशों से अवगत कराया था। उन उपदेशों को वर्तमान समय भी पढ़ा और सुना जाता है। श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि मनुष्य को अपने जीवनकाल में किन-किन कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और सफलता प्राप्त करने के लिए किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बता दें कि भगवद गीता में 18 अध्याय एवं 700 श्लोक हैं, जिन्हें मात्र कुछ ही घंटों में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था। आइए जानते हैं भगवद गीता के कुछ ऐसे विचार जिनका पालन करने से व्यक्ति सभी प्रकार के दुःख एवं कष्टों से दूर रहता है।
गीता के महत्वपूर्ण उपदेश
भगवद गीता में श्री कृष्ण ने बताया है कि व्यक्ति को आत्ममंथन अवश्य करते रहना चाहिए। ऐसा करने से वह जीवन में कर रहे गलतियों का आकलन कर सकता है और अपने निर्णय को दृढ़ता से व सोच-समझकर ले सकता है।
गीता में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति को अपने क्रोध पर भी काबू रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आवेश में आकर व्यक्ति अपना नियंत्रण खो बैठता है और अधिकांश समय गलत निर्णय लेता है। जिस कारण से उसे भविष्य में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
श्री कृष्ण भगवद गीता में बताया है कि मनुष्य को अपने मन एवं चित्त पर संयम रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मन चंचल प्रवृत्ति का होता है और जिसके कारण गलत निर्णय लिए जाने का भय निरंतर बना रहता है। वहीं जो व्यक्ति मन पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है वही सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ता रहता है।
भगवद गीता में यह भी बताया गया ही कि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है। इसलिए मनुष्य को अपने जीवनकाल में सदैव सद्कर्म ही करते रहना चाहिए। ऐसा ही व्यक्ति को भगवान का आशीर्वाद मिलता है और वह सभी दुखों से दूर रहता है।
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।