धर्म-अध्यात्म

धन संबंधी परेशानियां दूर करने के लिए करें इस मंगल स्तोत्र का पाठ

Subhi
7 Dec 2021 2:46 AM GMT
धन संबंधी परेशानियां दूर करने के लिए करें इस मंगल स्तोत्र का पाठ
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हिंदी पंचांग और ज्योतिषशास्त्र में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी ग्रह से संबधित माना जाता है। यहां तक की उस दिन का नाम भी उस ग्रह के नाम पर ही रखा गया है।

हिंदी पंचांग और ज्योतिषशास्त्र में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी ग्रह से संबधित माना जाता है। यहां तक की उस दिन का नाम भी उस ग्रह के नाम पर ही रखा गया है। सोमवार का दिन सोम अर्थात चंद्रमा के नाम पर है तो वहीं मंगलवार का दिन मंगल ग्रह को समर्पित है। इस दिन मंगल ग्रह और उनके इष्ट देवता हनुमान जी के पूजन का विधान है। ग्रहों के सेनापति मंगल ग्रह का रंग लाल माना जाता है। इसलिए मंगलवार को लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से कुण्डली में मंगल ग्रह मजबूत होता है। जिन लोगों की कुण्डली में मंगल दोष हो तथा ऋण या धन संबंधी परेशानी आ रही हो उन्हें इस दिन इस मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

स्कंदपुराण में वर्णित ये मंगल स्तोत्र ऋण मोचक अचूक मंत्र माना जाता है। मंगलवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से धन संबंधी सभी परेशानियां दूर होती है। मंगल ग्रह का ये स्तोत्र रोग-दोष से मुक्ति और शत्रु विजय भी प्रदान करता है।

मंगल स्तोत्र -

मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद: !

स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक: !!

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां। कृपाकरं!

वैरात्मज: कुजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:!!

धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्!

कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्!!

अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:!

वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद:!!

एतानि कुजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्!

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्रुयात् !!

स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:!

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्!!

अंगारको महाभाग भगवन्भक्तवत्सल!

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:!!

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यव:!

भयक्लेश मनस्तापा: नश्यन्तु मम सर्वदा!!

अतिवक्र दुराराध्य भोगमुक्तजितात्मन:!

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्!!

विरञ्चि शक्रादिविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा!

तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:!!

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:!

ऋणदारिद्रयं दु:खेन शत्रुणां च भयात्तत:!!

एभिद्र्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तौति च धरासुतम्!

महतीं श्रियमाप्रोति ह्यपरा धनदो युवा:!!

!! इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्त ऋणमोचन मंगलस्तोत्रम् !!


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