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योगिनी एकादशी पर करना है श्रीविष्णु को प्रसन्न, तो जरूर करें विष्णु चालीसा का पाठ
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप और अनंत नाम हैं। एकादशी और गुरवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पुराणों में बताया गया है कि भगवान विष्णु की पूजा से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। ऐसा मान्यता है कि अगर भक्त हर गुरुवार को भगवान विष्णु की विधिवत्त पूजा करते हैं और बताए गए उपाय अपनाते हैं, तो उनके सारे संकट दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा के अलावा आप विष्णु चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। ऐसे में जो लोग अपने घर में नियमित भगवान विष्णु चालीसा पढ़ते हैं, उनके घर हमेशा खुशियों से भरे होते हैं। इसलिए आज हम आपके लिए आए हैं विष्णु चालीसा, जिसके जरिए आप नियमित अपने घर में पाठ कर सकते हैं।
विष्णु चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। श्री विष्णु की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। श्री विष्णु शक्ति-ज्ञान के देवता हैं, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।
विष्णु चालीसा पाठ की विधि
प्रातः जल्दी उठ कर स्नानादि से निवृत्त हो कर साफ पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
अब श्रीहरि विष्णु की प्रतीमा के सामने घी का दीपक जला कर मन में संकल्प करें।
मंदिर या पूजा घर में आसन लगा कर बैठ जाएं और फिर विष्णु चालीसा का पाठ आरंभ करें।
इसके बाद धूप दीप करके भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
भोग में तुलसी की पत्ती अवश्य डालें। तुलसी बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।
घर के सदस्यों को प्रसाद वितरित करें।
विष्णु चालीसा पाठ के लाभ
विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें सुख,सौभाग्य, समृद्धि के साथ ही साथ धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
विष्णु चालीसा का पाठ भर करने से हमारे सभी कष्टों व समस्याओं का निवारण होता है।
विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें, भीतर सकारात्मक मानसिक शक्ति की उत्पत्ति होती है।
गुरुवार के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें मोक्ष मिलता है।
विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें, शक्ति व ज्ञान की प्राप्ति होती है।
विष्णु चालीसा
दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
चौपाई
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥