धर्म-अध्यात्म

भगवान बुद्ध को 'प्रसन्न' करने के लिए भिक्षु ने अपने ही सिर की बलि चढ़ा दी, कहता था- होगा मेरा पुनर्जन्म

Kunti Dhruw
20 April 2021 12:27 PM GMT
भगवान बुद्ध को प्रसन्न करने के लिए भिक्षु ने अपने ही सिर की बलि चढ़ा दी, कहता था- होगा मेरा पुनर्जन्म
x
उच्च आध्यात्मिक के रूप में पुनर्जन्म लेने की आस में एक बौद्ध भिक्षु ने भगवान बुद्ध की चरणों में अपने ही सिर की बलि चढ़ा दी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: उच्च आध्यात्मिक के रूप में पुनर्जन्म लेने की आस में एक बौद्ध भिक्षु ने भगवान बुद्ध की चरणों में अपने ही सिर की बलि चढ़ा दी। थाईलैंड में रहने वाले 68 वर्षीय थम्माकोर्न वांगप्रीचा कथित तौर पर पिछले पांच वर्षों से विचित्र अनुष्ठान बलिदान की योजना बना रहे थे। उनका मानना था कि भगवान बुद्ध के लिए अपने आपको त्यागने से उनकी मेरिट अच्छी होगी और उन्हें अपने नए जीवन में अध्यात्म के नए स्तर को छूने और निर्वाण को प्राप्त करने का मौका मिलेगा। बता दें बौद्ध धर्म में मेरिट एक ऐसी ऊर्जा को कहा जाता है जो अच्छे काम करने से प्राप्त होती है। इसे मोक्ष की राह से भी जोड़कर देखा जाता है।

थम्माकोर्न वांगप्रीचा गत 11 वर्षाें से उत्तर-पूर्वी थाईलैंड के एक मंदिर में सेवा कर रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को सबसे पहले उनके भतीजे बूनचर्ड बूनरोड ने देखा था। बूनरोड काे वांगप्रीचा का एक पत्र भी मिला था। इस पत्र में लिखा था कि मैं भगवान बुद्ध को अपना शरीर और आत्मा समर्पित करना चाहता था ताकि प्रभु मुझे अगले जन्म में एक उच्च आध्यात्मिक के रूप में दुनिया में वापस भेज सकें। मैं पिछले पांच सालों से इसकी योजना बना रहा था।

बता दें मौत का कारण पता लगाने के लिए पुलिस ने बौद्ध भिक्षु का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार वांगप्रीचा ने अन्य पुजारियों को बताया था कि वे जल्द ही मंदिर से अपनी सेवाएं खत्म करने वाले हैं। किंतु कैसे, उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं दी थी। थाईलैंड में रहने वाले 68 वर्षीय थम्माकोर्न वांगप्रीचा कथित तौर पर पिछले पांच वर्षों से विचित्र अनुष्ठान बलिदान की योजना बना रहे थे। उनका मानना था कि भगवान बुद्ध के लिए अपने आपको त्यागने से उनकी मेरिट अच्छी होगी और उन्हें अपने नए जीवन में अध्यात्म के नए स्तर को छूने और निर्वाण को प्राप्त करने का मौका मिलेगा। बता दें बौद्ध धर्म में मेरिट एक ऐसी ऊर्जा को कहा जाता है जो अच्छे काम करने से प्राप्त होती है। इसे मोक्ष की राह से भी जोड़कर देखा जाता है।

थम्माकोर्न वांगप्रीचा गत 11 वर्षाें से उत्तर-पूर्वी थाईलैंड के एक मंदिर में सेवा कर रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को सबसे पहले उनके भतीजे बूनचर्ड बूनरोड ने देखा था। बूनरोड काे वांगप्रीचा का एक पत्र भी मिला था। इस पत्र में लिखा था कि मैं भगवान बुद्ध को अपना शरीर और आत्मा समर्पित करना चाहता था ताकि प्रभु मुझे अगले जन्म में एक उच्च आध्यात्मिक के रूप में दुनिया में वापस भेज सकें। मैं पिछले पांच सालों से इसकी योजना बना रहा था। बता दें मौत का कारण पता लगाने के लिए पुलिस ने बौद्ध भिक्षु का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार वांगप्रीचा ने अन्य पुजारियों को बताया था कि वे जल्द ही मंदिर से अपनी सेवाएं खत्म करने वाले हैं। किंतु कैसे, उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं दी थी।
Next Story