धर्म-अध्यात्म

विष्णुजी की कृपा पाने के लिए एकादशी को जरूर करें स्तुति और मंत्रों का जाप

Subhi
26 Jan 2022 1:53 AM GMT
विष्णुजी की कृपा पाने के लिए एकादशी को जरूर करें स्तुति और मंत्रों का जाप
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28 जनवरी को षटतिला एकादशी है। यह एकादशी हर साल माघ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। षट्तिला एकादशी की तिथि 28 जनवरी को देर रात 02 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 28 जनवरी को रात्रि में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी।

28 जनवरी को षटतिला एकादशी है। यह एकादशी हर साल माघ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। षट्तिला एकादशी की तिथि 28 जनवरी को देर रात 02 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 28 जनवरी को रात्रि में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। अतः व्रती 28 जनवरी के दिन एकादशी व्रत रख भगवान श्रीविष्णु की पूजा-आराधना कर सकते हैं। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। शास्त्रों में निहित है कि एकादशी को रात्रि जागरण कर नारायण का सुमरन करने से व्यक्ति को वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान विष्णुजी की कृपा पाने के लिए एकादशी को जरूर करें स्तुति और मंत्रों का जाप-

विष्णु स्तुति:-

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।।

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।


ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

ॐ नारायणाय विद्महे।

वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

ॐ विष्णवे नम:

ॐ हूं विष्णवे नम:

ॐ नमो नारायण।


श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर।

भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।

आ नो भजस्व राधसि।

ॐ अं वासुदेवाय नम:

ॐ आं संकर्षणाय नम:

ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:


ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:

ॐ नारायणाय नम:

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।

यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।



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