धर्म-अध्यात्म

प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य कृपा पाने के लिए इन मंत्रों से करें जाप

Teja
7 Feb 2022 5:23 AM GMT
प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य कृपा पाने के लिए इन मंत्रों से करें जाप
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हिंदू (Hindu) धर्म में भगवान सूर्य (Lord Sun) की साधना का विशेष महत्व है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू (Hindu) धर्म में भगवान सूर्य (Lord Sun) की साधना का विशेष महत्व है. प्रतिदिन प्रत्यक्ष दर्शन देने वाले भगवान भास्कर से जुड़ा विशेष पर्व रथ सप्तमी (Ratha Saptami) मनाया जा रहा है. माघ मास (Magh Month)के शुक्लपक्ष की सप्तमी को लोग इस पावन दिन को अचला या रथ सप्तमी के नाम से जानते हैं. हालांकि इसे सूर्य, भानु, अर्क, महती, पुत्र सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है. आज 07 फरवरी को प्रात:काल 04:37 से प्रारंभ हुई रथ सप्तमी तिथि कल दिनांक 08 फरवरी को प्रात:काल 06:15 तक रहेगी. आइए अचला या फिर कहें र​थ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की कृपा दिलाने उन महामंत्र (Surya Mantra) के बारे में जानते हैं, जिसे जपते ही सूर्य की कृपा बरसने लगती है.

ऐसे करें सूर्य साधना
अचला सप्तमी के दिन किसी नदी तीर्थ पर जाकर स्नान करने का बहुत पुण्य फल है. यदि आप नदी तीर्थ पर न जा सकें तो अपने घर पर ही गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें और उसके बाद तांबे के लोटे में कुमकुम और तिल डालकर अपने सिर के उपर से सूर्य देवता को नीचे दिये गये किसी भी एक मंत्र का जाप करते हुए अघ्र्य दें. और सूर्य के मंत्र का जाप करें.
सूर्य साधना का महामंत्र
नमस्ते रुद्ररूपाय रसानाम्पतये नमः। वरुणाय नमस्तेऽस्तु हरिवास नमोऽस्तुते।। यावज्जन्मकृतं पापं मया जन्मसु सप्तसु। तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी. जननी सर्वभूतानां सप्तमी सप्तसप्तिके। सर्वव्याधिहरे देवि नमस्ते रविमण्डले।।
सूर्य का प्रार्थना मंत्र
ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:. विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।
सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत्।।
सूर्यदेव का वैदिक मंत्र
ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च . हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन।।
सूर्यदेव का तांत्रोक्त मंत्र
ॐ घृणि: सूर्यादित्योम, ॐ घृणि: सूर्य आदित्य श्री, ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:, ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:।।
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र
1. ॐ मित्राय नम: ।।
2. ॐ रवये नम:।।
3. ॐ सूर्याय नम: ।।
4. ॐ भानवे नम: ।।
5. ॐ खगाय नम:।।
6. ॐ पूषणे नम।।
7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।।
8. ॐ मरीचये नमः ।।
9. ॐ आदित्याय नमः।।
10. ॐ सवित्रे नमः।।
11. ॐ अर्काय नमः।।
12. ॐ भास्कराय नमः।।
भगवान सूर्य के अन्य मंत्र
ॐ सूर्याय नम:।।
ॐ घृणि सूर्याय नम:।।
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:..।।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।
रथ सप्तमी का धार्मिक महत्व
रथ सप्तमी के दिन भगवान स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान सूर्य के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा एवं दीपदान का विशेष महत्व है. भविष्य पुराण के अनुसार अचला सप्तमी के दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की साधना करने पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और साधक को सुख – सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता यह भी है कि यदि कोई व्यक्ति पूरे माघ मास में गंगा स्नान न कर पाए और यदि वह अचला सप्तमी का व्रत विधिपूर्वक कर ले तो उसे पूरे माघ मास के गंगा स्नान का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)हिंदू (Hindu) धर्म में भगवान सूर्य (Lord Sun) की साधना का विशेष महत्व है. प्रतिदिन प्रत्यक्ष दर्शन देने वाले भगवान भास्कर से जुड़ा विशेष पर्व रथ सप्तमी (Ratha Saptami) मनाया जा रहा है. माघ मास (Magh Month)के शुक्लपक्ष की सप्तमी को लोग इस पावन दिन को अचला या रथ सप्तमी के नाम से जानते हैं. हालांकि इसे सूर्य, भानु, अर्क, महती, पुत्र सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है. आज 07 फरवरी को प्रात:काल 04:37 से प्रारंभ हुई रथ सप्तमी तिथि कल दिनांक 08 फरवरी को प्रात:काल 06:15 तक रहेगी. आइए अचला या फिर कहें र​थ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की कृपा दिलाने उन महामंत्र (Surya Mantra) के बारे में जानते हैं, जिसे जपते ही सूर्य की कृपा बरसने लगती है.
ऐसे करें सूर्य साधना
अचला सप्तमी के दिन किसी नदी तीर्थ पर जाकर स्नान करने का बहुत पुण्य फल है. यदि आप नदी तीर्थ पर न जा सकें तो अपने घर पर ही गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें और उसके बाद तांबे के लोटे में कुमकुम और तिल डालकर अपने सिर के उपर से सूर्य देवता को नीचे दिये गये किसी भी एक मंत्र का जाप करते हुए अघ्र्य दें. और सूर्य के मंत्र का जाप करें.
सूर्य साधना का महामंत्र
नमस्ते रुद्ररूपाय रसानाम्पतये नमः। वरुणाय नमस्तेऽस्तु हरिवास नमोऽस्तुते।। यावज्जन्मकृतं पापं मया जन्मसु सप्तसु। तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी. जननी सर्वभूतानां सप्तमी सप्तसप्तिके। सर्वव्या
ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:. विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।
सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत्।।
सूर्यदेव का वैदिक मंत्र
ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च . हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन।।
सूर्यदेव का तांत्रोक्त मंत्र
ॐ घृणि: सूर्यादित्योम, ॐ घृणि: सूर्य आदित्य श्री, ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:, ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:।।
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र
1. ॐ मित्राय नम: ।।
2. ॐ रवये नम:।।
3. ॐ सूर्याय नम: ।।
4. ॐ भानवे नम: ।।
5. ॐ खगाय नम:।।
6. ॐ पूषणे नम।।
7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।।
8. ॐ मरीचये नमः ।।
9. ॐ आदित्याय नमः।।
10. ॐ सवित्रे नमः।।
11. ॐ अर्काय नमः।।
12. ॐ भास्कराय नमः।।
भगवान सूर्य के अन्य मंत्र
ॐ सूर्याय नम:।।
ॐ घृणि सूर्याय नम:।।
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:..।।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।
रथ सप्तमी का धार्मिक महत्व
रथ सप्तमी के दिन भगवान स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान सूर्य के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा एवं दीपदान का विशेष महत्व है. भविष्य पुराण के अनुसार अचला सप्तमी के दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की साधना करने पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और साधक को सुख – सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता यह भी है कि यदि कोई व्यक्ति पूरे माघ मास में गंगा स्नान न कर पाए और यदि वह अचला सप्तमी का व्रत विधिपूर्वक कर ले तो उसे पूरे माघ मास के गंगा स्नान का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है.


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